सरयू नदी खतरे के निशान से नीचे

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

नवाबगंज /गोंडा । सरयू नदी माझा क्षेत्र में तबाही मचाने के बाद शांत हो कर अब खतरे के निशान से काफी नीचे पहुंच गई है। जिससे तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का खतरा तो टल गया है। लेकिन संक्रामक रोग का खतरा बढ़ गया है। सरयू नदी में आई बाढ़ से तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक पहुंच गया था। क्षेत्र के दत्तनगर,व्यौंदा माझा,साखी पुर, तुलसीपुर माझा,गोकुला,माझा राठ, जैतपुर, दुल्लापुर, दुर्गागंज मांझा,लोलपुर, पत्ते पुर, महेशपुर गांव के सैकड़ों मजरों में गांव का पानी पहुंच गया था। सड़कों पर पानी भरा होने से गांव का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया था।लोग नाव के सहारे आवागमन करने के लिए मजबूर थे। 

। लेकिन एक बार फिर सरयू नदी का पानी घटने से लोगों राहत की सांस ली है। केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार रविवार को सरयू नदी का जलस्तर 92.410 मी पर आगया जो खतरे के निशान से 32 सेमी नीचे है।पानी घटने के बावजूद तटवर्ती इलाकों में अभी भी लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हुई है। गांव में जगह जगह पानी भरा होने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। पानी जैसे-जैसे सूख रहा है। वहां स़क्रामक रोग भी पैर पसार रहा है। 

बाढ़ प्रभावित लोग अब संक्रमण के चलते बीमार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम बाढ़ चौंकियो पर कैम्प लगाकर निःशुल्क दवाई का वितरण कर संक्रामक रोगो से बचाव के उपाय बता रही है। दुल्लापुर गांव निवासी पाटनदीन ने बताया कि पहले बाढ़ का पानी समाप्त होने के बाद गांव में ब्लीचिंग पाऊका छिड़काव कराया जाता था। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है। नदी का जलस्तर घटने से गांव के रास्ते तो खुल गए हैं लेकिन जगह जगह गंदगी फैली हुई है।

 खाली स्थानों पर जल भराव होने से मच्छर पनप रहे हैं। गांव के लोग अब संक्रामक रोग फैलने के खतरे से परेशान हैं। सर्दी ज़ुकाम जैसी समस्या उत्पन्न होने लगी है। स्वास्थ्य विभाग की बाढ़ चौंकियो तक ही सीमित है। दत्तनगर गांव के प्रधान प्रतिनिधि राजाराम यादव नें बताया कि गांव में अभी भी जलभराव की स्थिति है। पानी कम होने से कीचड़,सड़न और दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। संक्रामक रोगों नें पाव पसारना शुरू कर दिया है। लोग वायरल फीवर, उल्टी-दस्त,पेट दर्द की चपेट में आ रहे हैं।