युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
आईए आज हम सभी कों कुछ सच्ची घटनों सें रुबरु करातें हैं। यह घटना बिहार की हैं जहाँ स्नातक पार्ट - २ की परिक्षा ली गई हैं उसकी हाल ही में रिजल्ट आया था जिसमें लगभग ६-७ हजार बच्चों का रिजल्ट पेंडिंग बताया जा रहा हैं। अब सवाल यह है बच्चें नें मेहनत करकें और ससमय जाकर परिक्षा दिया फिर रिलज्ट पेंडिंग क्यों???
पेंडिंग हुई तों हुई मगर कोई भी सही जानकारी देनें के लिए तैयार नहीं। काँलेज जाओं तों टीचर सब भगाता हैं तों जबाब नहीं मिलनें पर बच्चें आपस में धक्कें-मुक्की करता रहतें हैं ।
हर जगह कोई एक तों अच्छे इंसान मिल ही जातें हैं तब दों शिक्षक जिनका नाम बता नहीं सकतें हैं मगर उन दोनों शिक्षकों नें मदद किया और उनकी मदद के कारण ही सभी बच्चें नें पेडिंग के लिए पत्र लिखा। फिर जिस काँलेज में आप पढ़तें हैं उसी काँलेज की प्रधानाचार्या जी सें हस्ताक्षर और स्टैप लगावाकर फिर उस पत्र, पेडिंग रिजल्ड सब साथ में लिखकर जहाँ परिक्षा दिए थें उस काँलेज में जाकर जमा कीजिए। फिर एक बाद जाम करनें बाद जाओं तों इंतजार करवाता फिर जब मेमों और उपस्थिति सीट देनें सें पहले पैसे माँगे गए और ना देनें पर देते नहीं। सब लेनें के बाद वापस अपनें काँलेज में जाकर जमा करें।
उसमें भी कोई गांरटी नहीं लेते हैं, कि रिजल्ड कब सुधरगा या नहीं सुधरेगा। इस डर के कारण सभी पेडिंग बच्चें दुबारा फाॅम भरें , विश्वविद्यालय कों तों पैसा मिल गए। मगर बच्चें पेडिंग रिजल्ड सें परेशान हैं और पार्ट २ का परिक्षा देना होगा। ऊपर सें पार्ट ३ का फार्म भरा रहा हैं बच्चें परेशान कितना हों रहें हैं। विश्वविद्यालय कों बच्चों के लिए सोचना चाहिए कि बच्चों कों कितनी परेशानी हों रही हैं। कृप्या बच्चें के हित में सोचें ।।
मुस्कान केशरी
मुजफ्फरपुर बिहार
एम एस केशरी पब्लिकेशन की संस्थापिका