हिसार से उठी ‘हिन्द की आवाज

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

भारत की महान सहिष्णु व सह अस्तित्व की संस्कृति को पिछले दिनों हरियाणा के मेवाती क्षेत्र नूंह में जिस प्रकार कुछ धर्म का चोला ओढ़े अपराधी प्रवृत्ति के फसादियों ने तार-तार कर हिन्दू-मुसलमानों को आपस में लड़ाने और उनके घर फूंकने से लेकर जान लेने तक की कोशिश की उसे इसी हरियाणा राज्य के लोगों ने ‘हिसार’ में एक विशाल ‘महापंचायत’ करके ठंडा करने का प्रयास किया और ऐलान किया कि ‘मोनू मानेसर’ जैसे कथित गौरक्षकों की हरियाणा में कोई जगह नहीं है और सरकार को उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुख्ता इन्तजाम करने चाहिए। दरअसल हरियाणा के लोगों ने पूरे हिन्दोस्तान के लोगों को रोशनी दिखाने का काम किया है और एक बार पुनः सिद्ध किया है कि ‘सर छोटूराम’ की इस धरती पर हिन्दू-मुसलमानों के बीच मजहब की आड़ लेकर जो लोग दंगे-फसाद कराने की फिराक में हैं उनके इरादे कभी पूरे नहीं होंगे। 

हरियाणा के प्रमुख शहर हिसार में पिछले दिनों जाट बिरादरी की खाप पंचायतों व किसान संघों ने एक महापंचायत का आयोजन किया जिसमें मुसलमानों व सिखों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इस महापंचायत में सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि राज्य के मुसलमानों की रक्षा दूसरी हिन्दू बिरादरी के लोग व सिख करें और उनके खिलाफ किये जा रहे दुष्प्रचार से प्रभावित न हों। महापंचायत ने फैसला किया कि मुस्लिम बन्धुओं को पहले की तरह राज्य के हर गांव में कारोबार या काम करने से जो लोग भी रोकने की लेशमात्र कोशिश करते हैं उनका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए और ऐसा दुष्प्रचार करने वाले लोगों की पहचान करके उसकी सूचना पुलिस-प्रशासन को दी जानी चाहिए। महापंचायत में कहा गया कि हरियाणा में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा बहुत मजबूत रहा है खास कर मेवाती मुसलमानों और जाटों में एकता के तार इस तरह बहुत मजबूत रहे हैं कि दोनों बिरादरियों में प्यार-मौहब्बत परिवारों से लेकर समाज तक रही है। सर छोटू राम ने ही सबसे पहले यह कहा था कि ‘जाट का हिन्दू क्या और मेव का मुसलमान क्या”। 

मगर कुछ शक्तियां अपनी राजनैतिक दुकानें चलाने के लिए दोनों बिरादरियों में रंजिश पैदा कराना चाहती हैं जिससे सावधान रहने की जरूरत है। कुछ लोग जाटों को मेवों के विरुद्ध करने के लिए तरह-तरह के स्वांग रच रहे हैं और गौरक्षकों का लबादा ओढ़कर  साम्प्रदायिक तनाव पैदा कराना चाहते हैं। मगर जाट बिरादरी उनकी चालों में आने वाली नहीं है और उसकी समझ में आ चुका है कि अपराधी किस्म के कथित गौरक्षक लोग कौन हैं और उनका उद्देश्य क्या है।

 जाट बिरादरी उनके घृणित उद्देश्यों को कभी पूरा नहीं होने देगी क्योंकि उतने ही राष्ट्रभक्त व देशप्रेमी हैं जितने कि अन्य भारतीय। किसी भी मुसलमान काम-धंधा करने वाले दुकानदार या फेरी वाले को किसी भी गांव में जाने की स्वतन्त्रता पहले के समान ही यथावत रहेगी और उन पर यदि कोई व्यक्ति जुल्म करने की कोशिश करेगा तो उसका विरोध सिखों समेत सभी धर्मों के लोग करेंगे। महापंचायत ने यह भी ऐलान किया कि मेव या मुसलमानों के विरुद्ध दुष्प्रचार करने वाले लोग कभी भी देशप्रेमी या देश भक्त नहीं कहलाये जा सकते क्योंकि वे भारत के नागरिकों का ही विरोध कर रहे हैं। 

मेव मुसलमान स्वयं को ‘मेव’ कहलाने में गर्व का अनुभव करते हैं क्योंकि उनकी जड़ें राजस्थान की मेवाड़ रियासत के महाराणा प्रताप से जुड़ी हुई हैं। गौरक्षक का चोला ओढ़ कर जो लोग उन्हें बदनाम करने और उनके प्रति द्वेष का वातावरण तैयार करना चाहते हैं वे भारत देश की एकता को ही चुनौती दे रहे हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि जाटों के बहुत बड़े लोकप्रिय नेता हुए सर छोटू राम आजादी से पहले संयुक्त पंजाब की जनप्रिय यूनियनिस्ट पार्टी के लीडर थे। यह पार्टी आजादी से पहले 1936 से लेकर 1946 तक पंजाब की सत्तारूढ़ पार्टी थी। इस पार्टी में हिन्दू-मुसलमान व सिख सभी होते थे और पंजाब के 1936 के चुनावों के बाद पहले प्रधान (मुख्य) मन्त्री सिकन्दर हयात खां बने थे जिनकी मृत्यु के बाद खिज्र हयात खां मुखिया हुए थे।

 इन दोनों की सरकारों में ही सर छोटू राम विकास मन्त्री से लेकर अन्य विभागों के प्रभारी बने थे। उस समय पंजाब में पूरा हरियाणा राज्य लाहौर रावलपिंडी से लेकर फरीदाबाद और बहादुरगढ़ तक आता था। पंजाब की सीमाएं दिल्ली से बाहर लगती थीं। सर छोटू राम ने तब पंजाब के कृषि, शिक्षा व अन्य विकास कार्यों में उल्लेखनीय कार्य किया था। वह हिन्दू-मुस्लिम एकता के भी प्रबल समर्थक थे। जाट बिरादरी सर छोटू राम को अपने किसी मसीहा से कम नहीं मानती। मगर वर्तमान सन्दर्भों में हमें हरियाणा व मेवात की स्थित देखनी होगी और धर्म के नाम पर समाज में साम्प्रदायिक दंगे कराने की साजिश रचने वालों के बारे में सोचना होगा। 

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ही कहा कि नफरती बयान हेट स्पीच किसी भी रूप में स्वीकार नहीं की जा सकती और समाज के सभी लोगों का कर्त्तव्य है कि वे इसका विरोध करें। न्यायालय ने केन्द्र व राज्य सरकारों को भी निर्देश दिये दिये हैं कि सामाजिक एकता व भाईचारा कामयम रखने के लिए वे उच्च स्तर पर ऐसी समितियों का गठन करें जिनमें हेट स्पीच की शिकायत दर्ज की जा सके। विभिन्न समुदायों के बीच एकता बनाये रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है।

 सभी समुदायों के लोगों को भी आपस में मिलजुल कर हेट स्पीच के विरुद्ध कारगर कदम उठाने चाहिए। नूंह में घटनाएं होने के बाद हिसार में भी कुछ धार्मिक उग्रादियों ने सरेआम जुलूस निकाल कर चेतावनी भरे लहजे में मुसलमान नागरिकों को धमकाने का काम किया था। अतः खाप पंचायतों ने हिसार का चुनाव ही अपनी हिन्दू-मुस्लिम-सिख महापंचायत के लिए करके पूरे देश को शान्ति और प्रेम का संदेश देने का रास्ता दिखाया है। हरियाणा के लोग तो वे हैं, ‘‘बख्शी हैं हमको इश्क ने वो ‘जुर्रतें’ मजाजडरते नहीं ‘सियासत-ए-अहले’ जहां से हम।’’