करम व्रत

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


राग द्वेष स्वभाव को चित्त से मिटाकर ,

जन - जन में समता का भाव जगाकर ,

प्रकृति  के सौदर्य ,माधुर्य ,औदार्य  की

प्रेमपूर्वक तहेदिल से कामना करते है !

विधिवत  करम  व्रत  साधना करते है !


अचल अटल श्रद्धा विश्वास में रमकर ,

बहनें  भाई  के जीवन धर्म सहज कर ,

लौकिक दृष्टिकोण से सर्वाधार प्रकृति

दृश्य  जीवजगत  का चिंतन करती है !

पूर्वसंचित संस्कार को मनन करती है !


कर्मफल  के  आश्रय  का  त्यागकर ,

यथाविधि  एकादशी  शुभकर्म   कर ,

उत्साहयुक्त भाव से प्रकृति तत्व का

सात्विक आनंद  संग ध्यान करते  है !

अत्यंत सुंदर रमणीय विधान रचते है !


✍️ ज्योति नव्या श्री

     रामगढ़ , झारखंड