कलमकार

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


मृत हुए जन दिल को जिंदा कर देता,

लौकिक जीवन रंगमंच का जादूगर हूं।

प्रबल निराशा में मैं आशा की किरण,

प्रेरक और मार्गदर्शक कलमकार हूं।।


जननी की आंसुओं को लेकर हथेली,

चंदन तिलक बना लगा लेता मस्तक।

जब-जब पुकारती है नारी दुःखी स्वर,

रक्षक वीर योद्धा बन देता हूं दस्तक।।


सरहद पर डटे सिपाहियों के हृदय में,

राष्ट्रप्रेम और विजय का भाव जगाता।

मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर करो,

उनके नस-नस में लोहित लहू दौड़ाता।।


किसान की दशा, मजदूर की मजबूरी,

बदन से निकलता रात-दिन ज्वालाएं।

मन की पीड़ा सुनता नहीं सत्ता राजन,

मेहनत का हक देकर दूर करो बाधाएं।।


देख दीन-हीन बेगार की करुणा दशा,

खून के आंसू पी लेता समझ गंगाजल।

दिवस जगाता मुक बधिर को बैगा रुप,

पाठ पढ़ाता अधिकार का करने मंगल।।


कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़।