तेल का खेल

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

तेलीराम जी को किसी ने उनके नाम से छेड़ दिया। छेड़ा तो छेडा तेल का महत्व पूछ लिया। अब वह दुनिया भर को यह बताते-बताते थक गए हैं कि भोजन बनाने और घर जलाने वाले तेल में जमीन आसमान का अंतर होता है। अक्सर लोग यही अंतर करने के चक्कर में तेलीराम से उनका तेल निकालने से कभी नहीं चूकते थे। जब-जब बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़तीं तेलीराम का ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे होने लगता। ऐसा नहीं है कि खाद्य तेल की कीमतें बढ़ने पर उनका तेल नहीं निकलता। निकलता जरूर, लेकिन निकालने वाली पत्नी होती इसलिए थोड़ा निश्चिंत रहते। हालात तो पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों से खराब हो जाती। 

तेलीराम को कभी-कभी लगता कि सरकार पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें उनका नाम देखकर बढ़ाती है। इसी तेल की चिंता में आज तक उनकी तबियत भारत की खड्ड-मड्ड सड़कों की तरह हो गयी है। पता नहीं कब कीमतें सपाट हो जायेंगी और कब पाताल तक ले जायेंगी।

तेलीराम जी तेल का नाम सुनते ही नाक-भौं सिकुड़ने लगते हैं। खासकर जब भी पेट्रोल बंक के सामने से गुजरते तो उनका तेल बंक में और उनका राम धरती के अंक में समा जाता। जब तक बंक पार नहीं कर जाते तब तक अपने नाम से तेली को राम से जोड़े रखने का वही प्रयास करते जो एक अल्पमत की सरकार अपने विधायकों को बचाए रखने का प्रायस करती है। वे एक तरह से पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती-चढ़ती कीमतों को बताने वाले चौराहे का घंटा हों। जो भी आता दाम पूछने के बहाने उनके नाम का घंटा बजा जाता।

 कभी-कभी अपने नाम को लेकर तेलीराम अपने दादा-परदादा को कोसने से कभी नहीं चूकते। कई लोगों को तो यह भी संदेह हुआ कि दुबई के कुँआपति इन्हीं के नाम से अपना मनमाफिक तेल निकालते हैं। वह अपनी शिकायत लेकर किसी के पास जा भी नहीं सकते हैं। देश में पहले से ही बेरोजगारी, महंगाई, कमजोर अर्थव्यवस्था और पड़ोसी देश की लाल आँखें देश का तेल निकाल रही हैं। ऐसे में वह अपनी शिकायत लेकर पहुँचेंगे तो उन्हें देश विरोधी कह कर उनके गले में पाकिस्तान, बंग्लादेश, नेपाल के तेल की कीमतों वाला बोर्ड लटका देंगे। 

जब भी देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ती हैं तब-तब पड़ोसी देश की कीमतों वाली व्हाट्सपिया सुरसुरी सरकार के नाक में दम करने का काम करती हैं। ऐसे में तेलीराम को खुद को राष्ट्रभक्त साबित करने के चक्कर में पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ी कीमतों का ठीकरा अपने सिर फोड़ देश की राष्ट्रभक्ति में अपना योगदान देने से कभी नहीं चूकते थे।

एक दिन तेलीराम को कुछ लोगों ने सलाह दी कि अपना नाम बदल लें। बहुत कुछ सोचने के बाद अपना नाम राष्ट्रवादी तेलीराम रख लिया। फिर उस दिन से कोई नाम उनका नाम पूछना तो दूर पेट्रोल-डीजल कीमतों के बारे में सोचना भी भूल गए। तेलीराम ने अपनी दुकान के बाहर एक बोर्ड पर लिख दिया पेट्रोल-डीजल की कीमतें पूछना देश से गद्दारी है। बिना कीमत पूछे खरीददारी करना देशभक्ति है। 

ऐसा न करने वाले पाकिस्तान या बंग्लादेश चले जाएँ। यदि आपके भीतर सच्चा पिता, सच्ची माता, सच्चा भाई, सच्ची बहन रहता या रहती है तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं पूछेंगे। जीवन को तेल की कीमतों के पीछे मत दौड़ाओ। कीमत चाहे जो भी हो अपनी देशभक्ति की कीमत से समझौता मत करो। देश पेट्रोल-डीजल से नहीं देशभक्ति से चलता है। आइए हम सब प्रण लेते हैं कि महंगाई, बेरोजगारी, बलात्कार आदि बढ़ने वाले देश में पेट्रोल-डीजल कोई मायने नहीं रखते। देश जैसा भी हो है तो अपना ही। चलिए राष्ट्रवादी बनते हैं। सभी समस्याओं से पिंड छुड़ाते हैं।

एक वह दिन था और आज का एक दिन है। फिर कभी किसी ने तेलीराम से पेट्रोल-डीजल की कीमतें पूछने की हिम्मत नहीं की।

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’