दुनिया भर के ग्रंथ,
किताबें, पुराण,
स्मृति, मनुस्मृति,
रामायण, महाभारत,
किनके गुणगानों से भरा है,
और कौन इसके
चपेट में आकर मरा है,
गंभीरता से सोचने की जरूरत है,
क्योंकि आज भी हमारे जेहन में
वहीं मोहनी सूरत है,
जो न तो हमारा था और
न हमारा हो सका,
पर वाह रे गुलामों
चारण गा गा
तुम्हारा शरीर व मुंह बिल्कुल न थका,
मनु और मनुस्मृति आज भी जिंदा है,
अत्याचार सह कर भी
हमारा समाज उनींदा है,
जातिय उत्पीड़न,
लिंचिंग, शोषण,
मार, अत्याचार से भी
लोग टूट नहीं पाए,
अभी भी देख रहा
पत्थरों की ओर टकटकी लगाए,
क्यों हमारे लोग
विपरीत विचारों की ओर जा रहे,
अपने महापुरुषों को
तनिक भी समझ नहीं पा रहे,
ऐ मेरे लोग
तू इतना क्यों नादान है,
जरा जागृत आंखों से ठीक से देख
हक अधिकार, समता का सम्मान देता
भारत का वृहद संविधान है,
अब तो संविधान को जान,
और खुद का कर भान,
जय संविधान, जय संविधान।
राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़