आशा (त्रिभंगी छंद )

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


है  तुमसे   आशा, उर  अभिलाषा ,ईश्वर  मेरे,  गिरधारी |

अब दर्शन दे दो, मेरी सुन लो, आस लगी  है, करतारी ||

जय नटवर नागर, गुण के आगर,करना पूरी,अभिलाषा  |

सब मानव जाने,वेद  बखाने, निज  मन धारे, है  आशा ||


हो  पूरी  आशा, मिटे पिपासा,ज्ञान चक्षु  खुल, अब जाये |

हे  घट -घट  वासी, तू  अविनाशी,दर्शन  से  मन,  हर्षाये ||

कर संयम वाणी, जीवित प्राणी, अधरों से तव,मधु बरसे |

जो अकड़ा -जकड़ा,तन है लकड़ा,नैना उसके, क्यूँ तरसे ||


मन   को   समझाना,  कष्ट   मिटाना, पीर  हरेंगे,   रघुराई |

ब्रम्हाण्ड  निकाया, उसकी   माया, वो  ही  जाने, सुखदाई ||

वो शक्ति प्रदाता, जनसुख दाता, भाग्य विधाता, जीवों का |

वह मार्ग प्रदर्शक, है सब दर्शक, शोक विनाशक,भावों का ||


मन घोर निराशा, तुझसे  आशा, करती  दुनिया, है  सारी |

भव सिंधु मुरारी, शरण तिहारी, निज शीश रखे, नर नारी ||

हे सुख दाता, सिद्ध विधाता, जग  के  पालक, नमन हरे |

मेरी यह आशा, न  हो  निराशा, उर अभिलाषा, पूर्ण करें ||


ये   जीवन   नैया,   पार   लगैया,  ईश्वर    मेरे,   हितकारी |

हे मन सुखदायक, जग के नायक ,पार लगाओ , गिरधारी ||

मन कहता जाता, भाग्य विधाता, जग  के  दाता, उपकारी |

है   अंतर्यामी,  जग   के  स्वामी ,भव  पार  करो,  मनुहारी ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश