-नगर निगम ने ‘एक शाम तिरंगे के नाम’ कवि सम्मेलन का किया आयोजन
सहारनपुर। शनिवार की शाम सहारनपुर का जनमंच तिरंगा गीतों से गुंजायमान रहा। भारत माता के जय घोष के बीच कवियों ने तिरंगे के मान, शान और अभिमान को लेकर रात तक तिरंगे का शुभ गान किया। नगर निगम द्वारा आयोजित ‘एक शाम तिरंगे के नाम’ कवि सम्मेलन का उद्घाटन मेयर संजीव वालिया, नगरायुक्त गजल भारद्वाज और पार्षदों ने मां शारदा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से किया।
इस अवसर पर नगर निगम की ओर से मेयर संजीव वालिया, जिलाधिकारी अखिलेश सिंह, नगरायुक्त गजल भारद्वाज, सीडीओ विजय कुमार और अपर नगरायुक्त राजेश यादव व सतेंद्र तिवारी ने सभी कवियों को माल्यार्पण व शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। मेयर संजीव वालिया ने कहा कि सहारनपुर के कवियों ने राष्ट्र और तिरंगे के सम्मान में जो रचनाएं पढ़ी है वे बेमिसाल है।
उन्होंने इसके लिए सभी को हार्दिक बधाई दी। नरेन्द्र मस्ताना की सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। मोहित संगम ने भारत मां के जयगान गीत से खूब तालिया बटोरी- कतरा कतरा सदा लहू का, भारत का जयगान कहेेगा/हम चाहे मिट भी जायेंगे, लेकिन हिन्दुस्तान कहेगा।
विनोद भृंग ने हर घर तिरंगा इस तरह फहराया-चल पडे़ तिरंगा लिए हुए, हर घर इसको फहरायेंगे/ भारत मां की जय बोलेंगे,वीरों का मान बढ़ायेंगे। पीएन मधुकर के तिरंगे गीत ने खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने पढ़ा-तिरंगा भारत की शान है,वीरों की जान है/इसके लिए न कोई हिन्दू मुसलमान है, तिरंगे की जय हो, जय हो तिरंगे की। डॉ.आर पी सारस्वत ने पढ़ा-अभिराम तिरंगे के ,यह जीवन सारा अब, नाम तिरंगे के। हरिराम पथिक का अंदाज था-सारा हिन्दुस्तान हमारा है, झंडा ऊंचा मान हमारा है।
डॉ.विजेन्द्र पाल शर्मा का यह गीत खूब सराहा गया- हम पागल है, शीश की नहीं हमें परवाह/गगन तिरंगे से सजे केवल इतनी चाह। डॉ.वीरेन्द्र आज़म ने पाकिस्तान के आका चीन को सचेत करते हुए पढ़ा- मोदी युग की बात नहीं ये, हर दौर तिरंगा चाहिए/कान खोलकर सुन लो बीजिंग, लाहौर तिरंगा चाहिए। नरेन्द्र मस्ताना ने कहा-तेरह, चौदह, पंद्रह अगस्त, हर द्वार तिरंगा फहराना/अमृत महोत्सव आया है, खुशियों के गीत सभी गाना।
राजीव यायावर की पंक्तियां थी- तिरंगे मे समायी है,सकल इतिहास की गाथा/ हमारी उन्नति की चाह के उल्लास की गाथा। नगरायुक्त ग़ज़ल भारद्वाज की कविता से सम्मेलन का समापन हुआ। उनकी रचना -‘तू क्या ढूंढता है, तू क्या जानता है/तू किन कायदों को लिखा मानता है।’ पर सभागार तालियों से गंूज उठा। इसके अलावा संदीप शर्मा की कविता आओ स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं तथा सुधीर परवाज, प्रहलाद आतिश और सिकंदर हयात के तिरंगा गीतों ने श्रोताओं से खूब वाहवाही बटोरी। संचालन डॉ.वीरेन्द्र आजम ने किया।