"आलसी बेटा"

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


करे नहीं कुछ काम, रात दिन घूमत रहिथे।

बाढ़े बेटा भार, ददा दाई हर सहिथे।।

समझाथे हर बार, बात ला नइ वो माने।

ददा पछीना राज, आज ले नइ तो जाने।।


आलस देह भराय, काम हर कइसे होवय।

निकले बेरा हाथ, माथ ला धर के रोवय।।

बाढ़े अब्बड़ बोझ, सबो बर गुस्सा आवय।

गरम रहे जब देह, अबड़ बेटा चिल्लावय।।


बेरा बड़ अनमोल, जेन येखर सँग जाथे।

पूरा होथे लक्ष्य, सफलता वो हर पाथे।।

आलस रहिथे दूर, जिंदगी आगू बढ़थे।

होथे जम्मो काज, शिखर मा तब्भे चढ़थे।।


रचनाकार

प्रिया देवांगन "प्रियू"

राजिम

जिला - गरियाबंद

छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com