सुन मेरी प्यारी सहोदरा,
राखी बांधने आना तुम।
देखता रहूंगा राह तुम्हारी,
मुझे भूल ना जाना तुम।।
खरीदना बाजार से राखी,
लाना लड्डू मीठी मिठाई।
लगाना भाल विजय तिलक,
पुकार रही है खाली कलाई।।
भेंट करुंगा एक नया उपहार,
खुशी से झूम कर नाचोगी।
सुख,समृद्धि कामना करके,
रक्षासूत्र जीवन का बांधोगी।।
जब संकट में घिर जाओगी,
मेरा नाम लेकर देना आवाज।
कहना,अभी मेरा भाई जिंदा है,
मेरे लिए लड़ेगा वो है जांबाज।।
जब कोई मानव,अमानव बन,
दुःख और दर्द तुझे पहुंचाएगा।
उस दिन बनकर योद्धा रक्षक,
तेरा ये भाई दौड़ा चला आएगा।।
कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़।