युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
हम दोनों का मिलन कोई इत्तेफाक नहीं है
यह तो शायद! पूर्व जन्म से ही निर्धारित है।
नहीं तो इस संसार में अनजान होकर भी
हमरा धीरे-धीरे इतना गहरा संबंध हो गया।
आपको सुनने मात्र से ही असीमित ऊर्जा
समाहित होने लगते हैं स्वत: ही मेरे अंतर्मन में।
जीवन में कई बार उपेक्षित होने के बाद भी
आपका आना मेरे जीवन में कल्पवृक्ष सा लगा।
आपका होना मेरे जीवन में स्वास्तिक सा है
बिना स्वार्थ ही हम एक दूजे के है स्वच्छंदता से।
चमकता ललाट सूर्य की रोशनी सा प्रतीत होता है
जैसे अंशुमाली का कोई उपकार हो मुझ पर।
वह आंखों से झलकता देदीप्यमान रोशनी
विभिन्न ऊर्जाओं से रोशन कर जाती है मुझे।
जिन प्रेम और स्नेह से अवांछित रही हूं वर्षो तक
अब मेरे जीवन में कस्तूरी बन सुगंधित कर रहा।
आपका आना मेरे जीवन में कोई इत्तेफाक नहीं
वह सहयोग जो किस्मत ने खींच कर लाया हो।
अदृश्य प्रेम जब साक्षात दिखने लगे प्रत्यक्ष
वह धीरे-धीरे जीवन को पुष्पित करने लगा है।
आभासी लोगों से दूर कोई अपना सा जरूरी है
वह सिर्फ और सिर्फ आप हो मेरे जीवन में।
जो मां जैसा स्नेह दे सकें, मां जैसा समझा सके
पिता के तरह डांट सके,भाई की तरह जासूसी करें।
एक बंधन का मर्यादा और स्थिति भी समझे
एक बच्चे के तरफ गले लग रोना चाहता हो।
यह सब कोई इत्तेफाक नहीं पूर्व निर्धारित है
शायद!ईश्वर इसी प्रकार आपके समक्ष आते हैं।
पूजा भूषण झा, वैशाली, बिहार।