किसी को ठंडी हवायें लुभा रही हैं,
किसी की पसलियां ठिठुरी जा रही हैं,
कोई गर्म कपड़ों में सर्दी का मज़ा उठा रहा है,
कोई बिना कपड़ों के हाथ पैर सिकुड़े जा रहा है,
कोई पक्के मकानों में आराम फरमा रहा है,
कोई खुली छत में, सड़क पर ज़िंदगी गुजार रहा है,
ग्रीष्म ऋतु में ए सी से कोई स्वयं को बचा रहा है,
कोई सूरज की तेज किरणों में अपनी त्वचा जला रहा है,
कोई स्वेच्छा से बारिश में नहा रहा है,
कोई भीगते हुए, ईटों की तगाड़ी उठा रहा है,
फिर भी वह खुश है, उसके जीवन में सुकून है,
थक हारकर चूल्हे की गरम रोटी खा रहा है,
कोई सब होते हुए भी खाने का वक्त नहीं निकाल पा रहा है,
चिंता मुक्त होकर फटे बिस्तर पर सुकून से कोई सो रहा है,
मखमली गद्दे पर नींद के लिए कोई करवटें बदल रहा है,
कहीं गरीबी है, किंतु जीवन में भरपूर सुकून है,
और कहीं केवल अमीर बनने का जुनून है।
-रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)