आज मन बहुत विचलित था , इसलिए अपने विचलित मन को शब्दों के मोतियों में पिरो कर एक माला का रूप देने का मन किया तो , उठा बैठी अपनी कलम और उंडेल बैठी मन के विचलित जज़्बातों को काग़ज़ों पर एक साकार रूप देने के लिए । मन की उलझती परिस्थितियों को रोके ना रोक पा रही थी लिखने से , सच एक मां हूं ना मैं भी तभी । ब्लड कार्डिनेटर के रूप में मानव सेवा करते हुए निरंतर सेवा के मार्ग पर बड़ी चली जा रही थी तभी एक मरीज का केस आया जिसके अंतर्गत एक मां को रांची के अस्पताल में ब्लड की जरूरत थी जब मैंने उससे फोन पर बात की तो घुमा तड़प रही थी ।
अपनी तकलीफ में और उनके पति यहां वहां डॉक्टरों से सहयोग मांगने के लिए भागम भाग में लगे हुए थे मैंने उस मां को फोन किया उस महिला ने फोन उठाया वह महिला मां बनने की पीड़ा के अनुभव से ढूंढ रही थी उस महिला के बकरीद उसकी आवाज में ही पूरी झलक रही थी सच मां बनने की पीड़ा कितनी अधिक होती है वह एक महिला ही जान सकती है मन व्याकुल हो उठा उस गर्भवती महिला की मदद करने के लिए हर तरह से हर संभव प्रयास करने लगी ताकि कैसे ना कैसे कर कर उस महिला की मदद हो सके क्योंकि मैं भी एक समय था मां बनने की हर एक पीड़ा से गुजर चुकी थी इसलिए उस महिला का दर्द में ही जान सकती थी ।
रांची शहर के हमारे बहुत से ब्लैक कोविड-19 को सहयोग पर लगा दिया आप लोग मदद पहुंचाएं मदद महिला को परंतु मन फिर भी विचलित था , न जाने क्यों इस प्रश्न का जवाब मैं खुद भी नहीं पा रही थी , महिला जब गर्भवती होती है तो वह अपने गर्भ को देख देखकर अनंत तकलीफों से जूझते हुए अपने गर्भ को देख देख कर खुश होती है और अपने गर्भ से कभी-कभी तो बताती भी रहती है इस जज्बात भरे रिश्ते में वह अपनी पीड़ा भी भूल जाती है।
पीड़ा तो होती है परंतु एक खुशी की पीड़ा है जो नौ महा बाद उसकी झोली में पुलकित होने वाला है मां बनने का सुख इतना बेहतरीन सुख होता है और वह दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है इस बीच में महिला को चक्कर उल्टियां होना बीपी आदि विभिन्न प्रकार की तकलीफ उसे जूंझना पड़ता है फिर भी मां डर्टी रहती है इस नौ माह की तकलीफों के आगे और सबसे वेदना भरी पीड़ा होती है , परंतु खुशी भरी , इस समय बहुत ही एसी गर्भवती महिला भी होती हैं जिनकी हालत इतनी खराब हो जाती की डाक्टर मां को बचा नहीं पाते , पहले से जानते हुए महिला की उसकी जान जा सकती है फिर भी वह अपनी जान हथेली में रख कर मां बनने का दुनिया का सबसे बड़ा खुशी भरा अनुभव लेना चाहती हैं ।
बच्चे के जन्म के समय होने वाले दर्द सिर दर्द सहती जाती है। और जब इस असहनीय पीड़ा के बाद उसकी गोद में नवजात शिशु को दिया जाता है तो वह बोली लगाती है अपने सीने से लगा उसे दूध पिलाने का अनुभव और उसके सर पर हाथ करने का ममता भरा इस पर कोमल माध्यम से बच्चे को महसूस कर खुशी से बारंबार अपने नौनिहाल पर वारी -वारी जाना , उसे चूमना मां को भीतर तक खुशियों से भर गुदगुदा देता अनुभव ।
मां के गर्भ में बीज पनपने से लेकर , बच्चे के होने तक का यह 9 माह का सफर बहुत ही कठिन होता है जब बच्चा हो जाता है बच्चे की हर एक जरूरत लालन पालन सभी को एक माही अच्छी तरह निभा सकती है । पिता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अपने अंतर्मन की खुशी को जाहिर करते हुए अपने बच्चे को हर एक खुशी देने का पूर्णत: प्रयास करते हैं , परंतु एक बच्चे के लिए मां तो मां ही होती है , ममता , करूणा, प्रेम , वात्सल्य से भरी । जो अपनी ममता भरे आंचल में बच्चे को छुपा हर पल बुरी नज़र से बचाए रखती है । नमन है मां तेरे बलिदान को ।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र