तेरे साथ देखे वो ख्वाब अधूरे पड़े है।
सारे सवाल दीवार बनकर रास्ते में खड़े है।
आखिर क्यों दो भाई आज एक मां को रखने के लिए लड़े है।।।
एक पिता जो दिन रात मेहनत करके खुद भूखा रहकर और अपने बच्चो को खाना खिलाता है।
वह पिता खुद प्यासा रहकर अपने बच्चो को पानी पिलाता है।।
बच्चे के एक चीज कहने पर वह दो चीज दिलाता है
फिर क्यों बच्चा अपने ही पिता पर चिल्लाता है।।
एक मां जो आपको छांव में रखकर खुद धूप में सोती है
अपने बच्चो के सामने नहीं मगर वो अकेले में तो रोती है।
क्या मां भगवान नही होती,आज वो जमाना है जहां अपने परिवार वाले जूठे और गैर सच्चे लगते है
जिन्होंने तुम्हे पाला वो बेकार और गैर अच्छे लगते है
कब बदलेगी जो तुम्हारी यह गटिया सोच है
वरना जिनके माता पिता नहीं है उनसे पूछो उनके जीवन में कितनी परेशानियां हर रोज है
कभी गैर के साथ न रहकर अपने परिवार वालो के साथ रहकर देखो की कितनी मोज है।।
राजेश्वरी बालोटिया
चित्तौड़गढ़,राजस्थान
सचलभाश/वॉट्सएप - 6375715405
ईमेल - rajeshwaribalotiya50@gmail.com