जरा आप भी सोचिए हमारी तकलीफ

जरा आप ही सोचिए हमारी तकलीफ जी हां यही गुहार लगाता है एक ब्लड कोऑर्डिनेटर किसी मरीज के परिचित को ये समझना चाहिए की, ब्लड कोऑर्डिनेटर वह होता है जो सब कुछ भुला कर मानवता सेवा के लिए निरंतर तत्पर रहकर किसी इंसान को नया जीवन देने के लिए अपनी तरफ से वह हर संभव कोशिश करता है जितना वह कर सकता है , परंतु किसी किसी केस में मरीज के परिचित बस अपने परिचित को बचाने के लिए ब्लड कार्डिनेटर के ऊपर बहुत अधिक दबाव डालने लगते हैं , ब्लड कार्डिनेटर मानवता सेवा को सर्वोपरि मानता हुआ अपने घर से अपरिचित लोगों के लिए सहयोग करता हुआ निकलता है ।

जिन्हें वह अपने मानवता सेवा और संवेदनशील जज्बातों से भरा हुआ मानता है। मानती हूं हर किसी को अपने परिचित प्रिय होते हैं और हर अटेंडर अपने परिचित को बचाने के लिए बहुत ही उतावले रहते हैं जिसके चलते कभी-कभी वह भी इतने ज्यादा परेशान हो जाते हैं कि कहीं से भी कैसे भी करके किसी के ऊपर भी दबाव डालकर बस हम अपने परिचित को बचा ले । 

परंतु अटेंडर यह नहीं समझ पाते हैं कि जिस ब्लड कोऑर्डिनेटर से आप बात कर रहे हैं वह एक तो अनजान है फिर भी मानवता के लिए आगे आ रहे हैं साथ ही ब्लड कोऑर्डिनेटर या ब्लड दान दाता समाज सेवा कर रहे हैं उसी ब्लड कोऑर्डिनेटर के ऊपर यदि हम भी इतना प्रेशर देंगे तो वह भी दो कदम पीछे हट जाएगा , ब्लड कोऑर्डिनेटर मानव सेवा के योगदान के लिए सदैव अपनी खुशी से अपनी आत्म संतुष्टि के लिए तत्पर रहता है ।

ब्लड कोऑर्डिनेटर को समाज सेवा के लिए किसी भी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं प्राप्त होता है और ना ही ब्लड कोऑर्डिनेटर किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग यह सरल भाषा में हम कह लें कि वेतन नहीं लेता है , फिर भी अपनी जिंदादिली दिखाते हुए ब्लड कोऑर्डिनेटर अपने ही खर्चे पर शहर के एक कोने से दूसरे कोने में लोगों की मदद करने के लिए अस्पताल में पहुंच जाता है या तो कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ब्लड कोऑर्डिनेटर किसी रक्त दान दाता को फोन करके सहयोग के लिए अपील करता है अपील भी उन लोगों के लिए करता है जिन्हें वह नहीं जानता परंतु किसी को बचाना ब्लड कोऑर्डिनेटर का मुख्य उद्देश्य होता है ।

यही सरल बात सरल सौम्य स्वभाव से भरे हुए ब्लड कोऑर्डिनेटर के बारे में अटेंड को समझना बहुत जरूरी है परंतु अटेंडर समझने को तैयार नहीं होते हैं वह बस चाहते हैं कि बस हमने फोन कर दिया और कक्कर हमारी मदद की जाए परंतु ऐसा नहीं होता ब्लड कोऑर्डिनेटर को भी समझना अटेंडर की जिम्मेदारी है टेंडर को समझना चाहिए कि कोई उनके लिए सहयोग करने के लिए अनजान शहर में अनजान इंसान मानवता और मानवता सेवा का जज्बा लिए हुए उनके लिए तत्पर खड़ा है तो अटेंडर को भी अपनी तरफ से धीरज रखते हुए ब्लड कोऑर्डिनेटर के द्वारा की जा रही सहयोग के लिए नतमस्तक होते हुए उनका अभिवादन करना चाहिए ना कि ब्लड कोऑर्डिनेटर को वेतन एक पधार वाला एक इंसान समझ कर उसके ऊपर दबाव के ऊपर दबाव डालना चाहिए।

यदि ब्लड कोऑर्डिनेटर नहीं कर पाता है किसी अटेंडर के परिचित का सहयोग तो तुरंत ही अटेंडर को बता भी देता है कि मैं नहीं करवा पाया जबकि दिल से कहूं तो अटेंडर खुद ही भीतर से शर्मिंदा होता है और उसे भी दुख होता है कि वह सहयोग नहीं कर पाया जिस तरह अटेंड अपने परिचित मरीज को बचाने के लिए बहुत उतावला रहता है उसी तरह ब्लड कोऑर्डिनेटर भी अपना बेस्ट से बेस्ट योगदान देने के लिए तत्पर रहता है आशा करती हूं अटेंडर जाइए पहले मरीज के परिचित  मेरे द्वारा लिखे गए भावनात्मक संदेश को पढ़कर जरूर भविष्य में या वर्तमान में समझेंगे और ब्लड कोऑर्डिनेटर को भी समझ पाएंगे मानवता सेवा में किसी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं है यह तो वह जज्बा है मानव मानव के अंदर जो मानवता सेवा देकर अपने आप को आनंद भीतर से प्रफुल्लित महसूस करते हैं और साथ ही आत्म संतुष्टि भी पाते हैं।।

वीना आडवाणी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र