प्रस्तरों को ढाल बनाकर ,
गहन तिमिर को प्रकाश बनाकर,
हम आगे बढ़ते जाएँगे,
है फ़ौलादी हिम्मत अपना
हम जीत ही जायेंगे...
चले आँधियां या चक्रवात भंयकर,
रुक ना सकेंगे हम हैं विशाल समंदर,
डर को अपनी कमजोरी नहीं बनाएँगे,
है फ़ौलादी हिम्मत अपना
हम जीत ही जायेंगे...
परवाह नहीं शोणित रण की ,
शूल दे उन शिलाखण्ड की,
विद्युत कंकण की गति अपनाएँगे,
है फ़ौलादी हिम्मत अपना
हम जीत ही जायेंगे...
हर परिस्थिति को अवसर बनाकर ,
तूफानों में भी कश्तियाँ चलाकर,
सुदूर मंज़िल को पा ही जायेंगे,
है फ़ौलादी हिम्मत अपना
हम जीत ही जायेंगे...
रीमा सिन्हा (लखनऊ)