उद्यमेन ही सिध्यन्ति, कार्याणि ना मनौरथे

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

एमएसएमई भारत के विज़न आत्मनिर्भर भारत, विज़न 2047 सहित विराट लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्राणशक्ति, सिद्धि का बहुत बड़ा माध्यम है - एड किशन भावनानी 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर किसी भी देश को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने, निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने और वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा , उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मजबूत अर्थव्यवस्था की आवश्यकता होती है हालांकि अर्थव्यवस्था की मजबूती पाने के लिए भी अनेक अलग अलग संसाधनों जिसमें, मानवीय पूंजीगत, प्राकृतिक सहित अनेक बातें शामिल है, की आवश्यकता होती है,उसी के बल पर अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और इन मानवीय संसाधनों में से एक बहुत बड़ा क्षेत्र सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का बहुत बड़ा आधार रहता है इसीलिए ही पूरी दुनिया 27 जून को अन्तर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस मनाती है जो संयुक्तराष्ट्र के सानिध्य में मनाया जाता है इसीलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इन उद्यमों से हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर विशाल प्रभाव की चर्चा करेंगे। 

साथियों बात अगर हम एमएसएमई की परिभाषा की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार,यह दो प्रकार के होते हैं। मैनुफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली इकाई, दूसरा है सर्विस एमएसएमई इकाई, यह मुख्य रुप से सेवा देने का काम करती हैं। हाल ही में सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा बदली है, नए बदलाव के निम्न श्रेणी के उद्यम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में आएंगे,(1)सूक्ष्म उद्योग- सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत रखा अब वह उद्यम आते हैं जिनमें एक करोड़ रुपये का निवेश (मशीनरी वगैरह में) और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो, यहां निवेश से मतलब यह है कि कंपनी ने मशीनरी वगैरह में कितना निवेश किया है। 

यह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है। (2) लघु उद्योग- उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखते है जिन उद्योगों में निवेश 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक है, यह निवेश और टर्नओवर की सीमा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर में लागू होती है। (3) मध्यम उद्योग-मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश और 250 करोड़ टर्नओवर है, वह मध्मम उद्योग में आएंगे। 

साथियों बात अगर हम एमएसएमई के महत्व की करें तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, ये देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं. एमएसएमई सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है। एक अध्ययन के अनुसार बताते हैं कि करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका इस क्षेत्र पर निर्भर करती है. 2024 तक सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के मिशन को साकार करने के लिए,इस क्षेत्र काजीडीपी में योगदान बढ़ाकर 50 फीसदी तक करने की जरूरत है।यही वजह है कि सरकार का फोकस इस सेक्टर की तरफ बढ़ा है। एमएसएमई कारोबारियों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई तरह के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। हमने देखे कि कोविड पैकेज में वित्तमंत्री ने एमएसएमई को तीन लाख करोड़ का आवंटन किया था। 

साथियों बात अगर हम दिनांक 30 जून 2022 को समाप्त हुई जीएसटी काउंसिल मीटिंग में एमएसएमई को लाभ की करें तो, वित्तमंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 47 वीं बैठक बुधवार को समाप्त हो गई। बैठक में एमएसएमई सेक्टर के लिए भी बड़ी राहत की घोषणा की गई, इनके फैसले के अनुसार अब ऐसे आपूर्तिकर्ताओं जिनका वस्तुओं और सेवाओं का कारोबार क्रमश- 40 लाख रुपये और 20 लाख रुपये से कम है तो उन्हें जीएसटी पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी, यह एक जनवरी, 2023 से लागू होगा।

साथियों बात अगर हम प्रतिवर्ष 27 जून को मनाए जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय एमएसएमई  दिवस और उसके इतिहास की करें तो मज एमएसएमई दिवस 2022 की थीम आत्मनिर्भर एमएसएमई को शक्ति प्रदान करने के लिये भारत की आपूर्तिं शृंखला को मज़बूत करना,है। नीति, प्रौद्योगिकी, नेतृत्व, कौशल और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नई क्षमताओं को विकसित करने, मौजूदा को बढ़ाने और एक नई दुनिया के लिये तैयार रहने की आवश्यकता है। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एमएसएमई के जबरदस्त योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम दिवस ​​(ए / आरईएस / 71/279) के रूप में नामित किया। ) संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए है। एमएसएमई दुनिया भर में 90 फ़ीसदी व्यवसायों, 60 से 70 फ़ीसदी रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद का 50 फ़ीसदी हिस्सा है। हर जगह समाज की रीढ़ के रूप में वे स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं और आजीविका को बनाए रखने में योगदान करते हैं, विशेष रूप से कामकाजी गरीबों, महिलाओं, युवाओं और कमजोरपरिस्थितियों में समूहों के बीच। 

साथियों बात अगर हम 27 जून 2022 को भारत में मनाए गए अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई दिवस की करें तो इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस के अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने कहा कोविड-19 महामारी और उसके बाद यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरते हुए इस क्षेत्र ने न केवल अपने व्यावसायिक कार्यों को डिजिटाइज़ किया, बल्कि अपनी उत्पादन लागत में भी कटौती की और आयात को कम करने वाले आवश्यक उत्पादों का घरेलू स्‍तर पर उत्पादन करके एक नई परंपरा शुरू की और सरकार की विभिन्‍‍न योजनाओं की सहायता से इन उत्पादों का निर्यात शुरू किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान, एमएसएमई ने विस्तृत बाजार तक पहुंचने के लिए अपनी ऑनलाइन सेवाओं पर ध्यान के‍न्द्रित किया, इस प्रकार वे प्रतिकूल परिस्थितियों को दूर करने में सक्षम हुए हैं। 

साथियों बहुत अगर हम दिनांक 30 जून 2022 को माननीय पीएम द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार एमएसएमई के संबंध में उन्होंने कहा, आज पूरी दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था की गति को देखकर प्रभावित है और इस गति में बहुत बड़ी भूमिका हमारे एमएसएमई सेक्टर की है। 

इसलिए इसे आज माइक्रो इकोनामी की मजबूती के लिए जरूरी हैं। आज भारत जितना निर्यात कर रहा है, उसमें बहुत बड़ा हिस्सा इस सेक्टर का है। इसलिए एमएसएमई आज उच्चतम निर्यात के लिए जरूरी हैं। इस सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले आठ साल में हमारी सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढोतरी की है।

 इस सेक्टर से 11 करोड़ से भी अधिक लोग इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इसलिए एमएसएमई आज अधिकतम रोजगार के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए जब 100 साल का सबसे बड़ा संकट आया तो, हमने अपने छोटे उद्यमों को बचाने के साथ ही उन्हें नई ताकत देने का भी फैसला किया। केंद्र सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए की मदद एमएसएमई के लिए सुनिश्चित की। 

आज थोक व्यापारी हों, रिटेल व्यापारी हों, रिटेल वेंडर्स हों, ये सभी एमएसएमई की नई परिभाषा के अंतर्गत प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत लोन का लाभ ले रहे हैं। और आप जानते हैं इसका मतलब क्‍या होता है। निर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच के अंतर को भी दूर किया गया है। आज जीईएम के माध्यम से सरकार को सामान और सेवाएं मुहैया कराने के लिए एमएसएमई को बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म मिल चुका है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण पहनकर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि उद्यमेन ही सिध्यन्ति, कार्याणि ना मनौरथे:सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ और विकास यात्रा का बहुत बड़ा आधार है एमएसएमई भारत के विज़न आत्मनिर्भर भारत विज़न 2047 सहित विराट लक्ष्यों को प्राप्त करने प्राणशक्ति, सिद्धि और बहुत बड़ा माध्यम है।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र