अखिल भारतीय शिक्षा समागम 7-9 जुलाई 2022 - शिक्षा का महाकुंभ

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

देश के उच्च शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र को केंद्र, राज्यों, निजी संस्थाओं में व्यापक कार्यान्वयन, परामर्श के लिए सटीक शिखर सम्मेलन 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन की गाथा,सर्वोत्तम प्रथाओं पर परामर्श,विचार-विमर्श के लिए शिक्षा समागम मील का पत्थर साबित होगा - एड किशन भावनानी

गोंदिया - नई शिक्षा नीति 2020/ राष्ट्रीय शिक्षा नीति जब 29जुलाई 2020 से शिक्षा के स्तर में सुधार के उद्देश्य से लाभार्थी सभी छात्र छात्राओंके लिए यह केंद्रीययोजना जब लागू की गई तो इसका 2030 तक सकल नामांकन अनुपात 100 फ़ीसदी लाने का लक्ष्य रखा गया था तथा शिक्षा हेतु पर सकल घरेलू उत्पाद के 6 फ़ीसदी का सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया था और मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया था। इसमें पांचवी कक्षा तक शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय क्षेत्रीय भाषा को अपनाने पर बल दिया गया था तथा मातृभाषा को कक्षा आठ और आगे की शिक्षा तक प्राथमिकता देने का सुझाव भी दिया गया था तथा देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए भारतीय उच्च शिक्षा परिषद यह एकल नियामक की परिकल्पना की गई थी,परंतु मीडिया में आई जानकारी के अनुसार चूंकि देश के उच्च शैक्षणिक पारिस्थितिक तंत्र का केंद्र, राज्यों, निजी संस्थानों में विस्तृत व्यापक स्तर पर आवंटन और नियंत्रण है इसीलिए नई शिक्षा नीति 2020 को व्यापक प्रचार, बल मिलने के में कठिनाई महसूस की जा रही थी इसीलिए ही इसे व्यापक बनानेके लिए अखिल भारतीय शिक्षा समागम/ शिखर सम्मेलन की सोच का उदय हुआ जिसपर आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे। 

साथियों बात अगर हम 7 से 9 जुलाई 2022 तक चल रहे इस समागम की करें तो पीआईबी के अनुसार, यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने में रणनीतियों, सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा, विचार-विमर्श और अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए अग्रणी भारतीय उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक मंच प्रदान करेगा। कई विश्वविद्यालय पहले ही इस कार्यक्रम को अपना चुके हैं, लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे हैं जिनके लिए इन परिवर्तनों को अपनाना और उनके अनुकूल होना बाकी है। चूंकि देश में उच्च शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र केंद्र, राज्यों और निजी संस्थाओं तक फैला हुआ है, इसलिए नीति कार्यान्वयन को और आगे ले जाने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है। परामर्श की यह प्रक्रिया क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। माननीय पीएम ने पिछले महीने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मुख्य सचिवों के एक सेमिनार को संबोधित किया था जहां राज्यों ने इस मुद्दे पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। इस संबंध में परामर्शों की श्रृंखला में यह शिक्षा समागम की अगली कड़ी है। 

साथियों बात अगर हम इस समागम के उद्देश्यों की करें तो, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के  विश्वविद्यालयों के 300 से अधिक कुलपतियों और निदेशकों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं के साथ-साथ उद्योग के प्रतिनिधियों को भी यह  विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ एक मंच पर लाएगा कि पिछले दो वर्षों में कई पहलों के सफल कार्यान्वयन के बाद देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन को कैसे और आगे बढ़ाया जा सकता है। 

यूजीसी के अध्यक्ष नें मीडिया में बताया कि समागम में 2020 की नई शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी इस दौरान विद्वान अपने-अपने विचारों को रखेंगे,इसके साथ ही प्राचीनता के समागम को कैसे आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाए, इस विषय पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस सत्र में नई शिक्षा नीति के तमाम बिंदुओं के साथ आधुनिक शिक्षा पर भी जोर दिया जाएगा। डिजिटल यूनिवर्सिटी पर चर्चा की जाएगी। मंथन होगा कि मेरिट के अभाव में विद्यार्थी को कैसे इसमें एडमिशन मिल सकेगा। डिजिटल यूनिवर्सिटी विद्यार्थियों की समस्याओं को दूर करेगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए काफी लाभदायक होगी। 

साथियों बात अगर हम तीन दिनों तक चलने वाले इस समागम में कई सत्रों में चल रही चर्चा की करें तो, कई सत्रों में बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, डिजिटल सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्ता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा हो रही हैं।इस शिखर सम्मेलन से विचारोत्तेजक चचार्ओं के लिए एक ऐसा मंच मिल सकने की उम्मीद है जो कार्ययोजना और कार्यान्वयन रणनीतियों को स्पष्ट करने के अलावा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा और अंत विषय विचारविमर्श के माध्यम से एक नेटवर्क का निर्माण करने के साथ-साथ शैक्षिक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेगा और उचित समाधानों को स्पष्ट करेगा। अखिल भारतीय शिक्षा समागम का मुख्य आकर्षण उच्च शिक्षा पर वाराणसी घोषणा को स्वीकार करना होगा जो उच्च शिक्षा प्रणाली के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए भारत की विस्तारित दृष्टिकृत और नए सिरे से उसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा। 

शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसीऔर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के साथ मिलकर कई नीतिगत पहलों को शुरू किया है। इनमें अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री एग्जिट, उच्च शिक्षा में बहु अनुशासन और लचीलापन, ऑनलाइन और ओपन डिस्टेंस लनिर्ंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विनियम, वैश्विक मानकों के साथ इसे और अधिक समावेशी बनाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को संशोधित करने, बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने और दोनों को शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने, कौशल शिक्षा को मुख्य धारा में लाने एवं आजीवन सीखने को बढ़ावा देने जैसी पहल शामिल हैं। 

पीएम नें बृहस्पतिवार को तीन दिवसीय सम्मेलन अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया इस सम्मेलन में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न पक्षकार उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विविध दृष्टिकोण के बारे में चर्चा हुई हैं। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अखिल भारतीय शिक्षा समागम 7-9 जुलाई 2022 शिक्षा का महाकुंभ है देश के उच्च शैक्षणिक पारिस्थितिक तंत्र को केंद्र, राज्यों, निजी संस्थाओं में व्यापक कार्यान्वयन परामर्श के लिए सटीक शिखर सम्मेलन है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन की गाथा, सर्वोत्तम प्रथाओं पर परामर्श विचार-विमर्श के लिए शिक्षा समागम मील का पत्थर साबित होगा। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र