पौधे

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


चलता है कोस-कोस ,

जलता है धूप-धूप ,

क्या सोचकर वो,

जगह-जगह पौधे लगाता है ।

नन्हें-नन्हें फूल उगाता है ।।1।।


बेखबर हूं आज और कल से,

बेखबर हू हवा और जल से ,

बैठा हूं घर

हाथ पर हाथ धर,

बस सीधे सवाल उठाता हूं ।

उल्टे-सीधे कयास लगाता हूं ।।2।।


आओ कोई रास्ता चुने ,

जीवन का सेतु बुने ,

सबकी धरती है ,

सबका योगदान हो,

आओ अमन सब शपथ उठाते है ।

मिलकर पृथ्वी पर पौधे लगाते है ।।3।।


मुकेश बोहरा अमन

गीतकार बाड़मेर राजस्थान