फुलवारी के बच्चों के रंगारंग कार्यक्रमों ने मोहा मन

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

गोण्डा। यह कविता उस समय बेहद मौजू जान पड़ती है जब हम बच्चों की दुनिया और उनके अस्तित्व की बात करते हैं ऐसे समय में यह पंक्तियां जुबान पर अनायास ही आ जाती है। ष्ष्खिल खिलाते फूल हैं हम इस जहां में।कौन जानें शाम तक कैसे रहेंगे।

आज हमारे बच्चों पर चारों तरफ से हमले हो रहे हैं। पाठ्यक्रम से लेकर लर्निंग आउट कम तक के हमले तेज होते जा रहे हैं। वह भी मई और जून का माह ख़ास अहम हो जाता है। उनके पंखों को या तो गति मिल जाती है या फिर उनके पंख कतर दिए जाते हैं। उस पर तुर्रा यह भी सुनने को भी मिलता है कि मेहनत नहीं की होगी। ठीक से पढ़ाई नहीं की होगी आदि आदि। लेकिन बच्चों की दुनिया कैसी बन और विगड़ रही है इसे जानने में हम वक्त नहीं लगाते।

शहर के नामचीन स्कूलों में शुमार फुलवारी पब्लिक स्कूल की कुछ बच्चियों को जब करीब से देखा गया तो वास्तव में उनके परफॉर्मेंस देख जिलाधिकारी डा0 उज्ज्वल कुमार भी अपने को रोक नहीं पाए उनके पास जाकर न केवल बच्चियों को प्रशस्ति पत्र दिया बल्कि उन्हें संवारने वाली शिक्षिकाओं से उन सभी के बारे में विस्तृत जानकारी ली। इसे देख पत्रकारों की टीम बुधवार को फुलवारी पब्लिक स्कूल पंहुचा और जब उन बच्चियों से बात की तो पता चला कि स्कूल की शिक्षिकाएं  उनको जिस तरह से सवारती है।  

यह उसी का परिणाम रहा।यूपी जर्नलिस्टस एसोसिशन उपजा के तत्वावधान में पत्रकारिता दिवस के मौके पर  इन बच्चों ने हर्षोल्लास के साथ  सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए थे। जिसमे छोटे छोटे बच्चो ने कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगो का मन मोह लिया था। जिनकी चर्चा नगर में खूब हो रही थी ।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन होने के साथ जब क्रमशः सौम्या द्विवेदी अंजली ओझा चांदनी द्विवेदी  निशी मिश्रा एवम ज्योति चौरसिया की टीम ने सरस्वती वंदना व स्वागत गीत गा कर लोगो को खूब रिझाया । जिस पर कार्यक्रम में मौजूद लोग वाह वाह करने को न केवल मजबूर हुए बल्कि झूमने लगे।

 कार्यक्रमों का आकर्षण  बच्चों का सामूहिक नृत्य रहा। बच्चो का कहना था कि उन्हें संवारने में उनके स्कूल के शिक्षिकाओ का हाथ है जिन्होंने हमेशा साथ दिया है। इस बावत विद्यालय की प्रबंधक नीता सिंह ने बताया कि बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए हम सभी हमेशा प्रयासरत रहते हैं। साथ ही बच्चो के शैक्षिक बौद्धिक शारीरिक विकास हेतु विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।