ब्यूरो , सीतापुर : जनपद सीतापुर में यूपी बोर्ड का रिजल्ट किसी को खुशियां दे गया तो कहीं एक बेटी ने रिजल्ट के बाद अपनी जिंदगी खत्म कर ली। पढ़ाई में मेहनत करने के बाद परीक्षा में आशानुरूप अंक न मिलने से आहत छात्रा ने रविवार की सुबह शारदा सहायक नहर में छलांग लगा दी। छात्रा ने मौत को गले लगाकर बोर्ड परीक्षा की मूल्याकंन प्रणाली पर सवालिया निशान खड़े किये हैं।
18 जून को रिजल्ट आने के बाद अपना परिणाम देखकर बालिका अवसाद में थी। मरने से पहले लिये गये सुसाइड नोट में बालिका ने अपना दर्द भी बयां किया है। घर से स्नातक में प्रवेश के लिये कोचिंग पढ़ने के लिये सुबह महमूदाबाद के लिये निकली छात्रा ने शारदा सहायक नहर में छंलाग लगाने से पहले किनारे पर अपना बैग, साईकिल और चप्पल नहर छोड़ दी, जिससे परिजनों को किसी राहगीर ने बैग में कागज पर लिखे नाम और नंबर की सहायता से सूचना दी।
और वही महमूदाबाद के सीता इंटर कालेज की इंटरमीडिएट की छात्रा गरिमा वर्मा (17) पुत्री गिरीशचंद्र वर्मा का शनिवार की शाम परीक्षा परिणाम आया था। परीक्षा परिणाम में गरिमा को 81.6 प्रतिशत अंक भी मिले थे। लेकिन पढ़ाई में की गई मेहनत की अपेक्षा उसे यह परिणाम रास नहीं आ रहा था। वहीं बेटी के उत्तीर्ण होने पर पूरा परिवार खुश था। लेकिन गरिमा को अपने परिणाम के प्रति संतुष्टि नहीं थी। फिर भी वह घर में सबसे बोलती हंसती रही। रविवार की सुबह हमेशा की तरह महमूदाबाद कोचिंग के लिए निकली गरिमा नहर पटरी होते हुए लैलकलां गांव के सामने पहुंची।
जहां उसने अपना कोचिंग ले जाने वाली बैग, साईकिल और चप्पल छोड़ दी और शारदा सहायक नहर में छलांग लगा दी। उसी रास्ते से गुजर रहे किसी राहगीर ने सड़क किनारे पड़ी साईकिल और बैग को देखकर उसे चेक किया और उसमें लिखे मोबाईल नंबर की सहायता से परिजनों को बैग और साईकिल नहर किनारे पड़े होने की सूचना दी। आनन फानन में मौके पर पहुंचे परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। वहीं मौके पर पहुंचे परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। कोतवाल विजयेंद्र सिंह ने बताया कि जानकारी मिली है, ग्रामीण गोताखोरों की मदद से किशोरी की तलाश की जा रही है।
विद्यार्थी जीवन से तंग होकर मैं ये खुदकुशी अपनी मर्जी से कर रही हूं। सॉरी मम्मी सॉरी पापा मुझे पता है यह गलत है, पर मैं क्या करूं, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है,क्या करूं, क्या नहीं। मैं इस रिजल्ट के साथ नहीं जी पाऊंगी। इसके बारे में सोच-सोच कर हर रोज मरेंगे, हर पल मरेंगे, हम नहीं जी सकते ऐसे। उक्त लाइनें हूबहू शारदा सहायक नहर में छलांग लगा चुकी छात्रा गरिमा के बैग से मिले सुसाइड नोट में लिखी मिली।
बोर्ड परीक्षा में कापियां के हुये मूल्याकंन से आहत गरिमा शारदा सहायक नहर में रविवार कि सुबह छलांग लगाकर अपनी मौत के पीछे कई अनसुलझे सवाल छोड़ गई है। गरिमा को यूपी बोर्ड की परीक्षा में 500 में 408 अंक मिले जो 81.6 प्रतिशत है। गरिमा के कक्षाचार्य उमेश वर्मा ने बताया कि वह अपने वर्ग की टापर थी और रिजल्ट आने के बाद उसका अपने वर्ग में चौथा स्थान था, जिससे वह काफी आहत थी। गरिमा को हिंदी में 82, अंग्रेजी में 78, भूगोल में 93, नागरिक शास्त्र में 80, व सबसे कम 75 नंबर अर्थशास्त्र विषय में मिले हैं।
गरिमा के पिता गिरीश चंद्र के मुताबिक वह काफी प्रतिभावान छात्रा थी। बोर्ड परीक्षा के मूल्यांकन में उसकी कापियों का ढंग से मूल्यांकन नहीं हो हुआ जिसके चलते अवसाद में उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। गरिमा आईएएस की तैयारी करना चाहती थी और इसीलिए पढ़ाई में वह जी तोड़ मेहनत कर रही थी। आर्ट्स वर्ग में गरिमा से आगे अनुभव शर्मा को 84 प्रतिशत, अखिलेश कुमार को 83 प्रतिशत आलोक कुमार को 82.40 प्रतिशत अंक प्राप्त हुआ। इन तीन के बाद वर्ग चौथा स्थान गरिमा का था।
कल शारदा सहायक नहर महमूदाबाद में लापता हुई छात्रा गरिमा वर्मा के शव को पुलिस व गोता खोरों की मदद से व काफी खोजबीन करने बाद सोमवार को भगौली रेगुलेटर से शव बरामद कर शव का पंचनामा भरकर मृतका के परिजनों को सुपुर्द किया गया। और वही सूत्रों के मुताबिक छात्रा के शव का अन्तिम संस्कार भी कर दिया गया।