संपूर्ण भागवत कथा सारांश से हुआ ज्ञान यज्ञ का समापन, मित्रता की पराकाष्ठा देख विभोर हुए लोग

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

(कथा स्थल से गौरीशंकर पाण्डेय सरस) 

खड़ौरा गांव में  भागवत कथा का अन्तिम दिन।

दुल्लहपुर/गाजीपुर। खड़ौरा गांव में  सप्ताह भर चली भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन शनिवार को  श्रीमद् भागवत का रसपान करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा। काशी क्षेत्र से  पधारे कथा वाचक आचार्य पं०वृजेश कुमार पांडेय ने  भागवत कथा के अंतिम दिन कई प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। इसमें ऊषा चरित्र, नृग चरित्र, वासुदेव नारद संवाद, सुदामा प्रसंग, परीक्षित मोक्ष की कथा का बड़े ही रोचक अंदाज में वर्णन किया।

कथा के दौरान आचार्य जी ने श्रोताओं को भागवत को अपने जीवन में उतारने की अपील की। साथ ही सुदामा चरित्र के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिसाल पेश की। समाज को समानता का संदेश दिया। इस कड़ी में महाराज ने बताया श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, वहीं इस कथा को कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। 

अंतिम दिन सुखदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद्  भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है और इसे कैसे जीना चाहिए जीवन जीने के संबंध  में भी उपस्थित भक्तों को समझाया। सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की दैनीय दशा को सुधारा। आचार्य ने गो सेवा कार्य करने पर भी जोर दिया। 

कृष्ण-सुदामा की कथा मनमोहक प्रसंग मनहर झांकियों से परिपूर्ण रही।। झांकियो का चित्रण काशी से आए विद्वान ब्राह्मण जयकुमार पाण्डेय और राजेश पाण्डेय द्वारा किया गया। श्रीकृष्ण के रूप में  गांव के किशन पाण्डेय तथा सुदामा के रूप में गांव के ही सरोज कुमार पांडेय द्वारा जो दृश्य प्रस्तुत किया गया सबके हृदय को छू गया।नंगे पांव नंगा बदन फटी  धोती कंधे पर फटी मटमैली चादर हाथ में लाठी लोटा और डोरी मानो ग़रीबी सचमुच दस्तक दे गई थी।

साथ ही कृष्ण दरबार में द्वारपाल के भेष में रोशन तथा विक्की की भूमिका भी काबिले तारीफ रही।जिसे देखकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। अंत में कथा व्यास आचार्य पं०वृजेशकुमार पाण्डेय ने कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन सुनाकर कथा को विश्राम दिया।कथा यजमान द्वारा काशी से पधारे कथा व्यास का अंग वस्त्र प्रदान कर अभिवादन किया गया। कथा आयोजक के विनम्र निवेदन पर कथा वाचक विद्वान आचार्य ने भगवद्भक्ति पुस्तक सहर्ष भेंट किया । तत्पश्चात महाआरती की गई और प्रसाद भोग वितरण किया गया।

अंत में कथा आयोजक मेजर हीरा लाल पाण्डेय ने सधन्यवाद देते हुए कथा वाचक एवं सहयोगी साथियों का आभार व्यक्त किया । साहित्यकार एवं गीतकार गौरीशंकर पाण्डेय सरस ने उपस्थित श्रोताओं एवं भक्त श्रद्धालुओ की तरफ से भक्ति ज्ञान वैराग्य और तारण की मंदाकिनी ‌बहाने वाले  विद्वत मंडली के प्रति सधन्यवाद ज्ञापित किया।इस मौके पर कथा आयोजक  कथा वाचक  सभी नर नारी युवा वृद्ध श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे। हारमोनियम पर साथ दिया पूर्वाचल के मशहूर मानस गायक पियूष कुमार पांडेय, तबले पर हनुमान प्रसाद पांडेय तथा पैड पर  मनोज ने।