श्रमिकों के कल्याण के प्रति सरकार, उद्योग व व्यापार जगत को संवेदनशील होना चाहिए: शीतल टण्डन
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मण्डल के प्रमुख पदाधिकारियों की एक विशेष बैठक अन्तर्राष्ट्रीय श्रम दिवस (मई दिवस) के उपलक्ष में स्थानीय नारायणपुरी स्थित जिला व्यापार मण्डल के सिविल लाईन्स कार्यालय पर आयोजित की गयी। बैठक को सम्बोधित करते हुए व्यापार मण्डल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जिलाध्यक्ष श्री टण्डन ने इस बात पर बल दिया कि श्रमिकों के कल्याण के लिए सरकार उद्योग व व्यापार जगत को संवेदनशील व सकारात्मक रूख अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मजदूर दिवस की शुरूआत 1 मई 1886 को अमेरिका में आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर सड़कों पर आ गए थे और वो अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने लगे। इस तरह के आंदोलन का कारण था काम के घंटे, क्योंकि मजदूरों से दिन के 15-15 घंटे काम लिया जाता था। आंदोलन के बीच में मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी और कई मजदूरों की जान चली गई। वहीं 100 से ज्यादा श्रमिक घायल हो गए। इस आंदोलन के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई, जिसमे तय हुआ कि हर मजदूर से केवल दिन के 8 घंटे ही काम लिया जाएगा।
अमेरिका में भले ही 1 मई 1889 को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव आ गया हो, लेकिन भारत में ये आया करीब 34 साल बाद। भारत में 1 मई 1923 को चेन्नई से मजदूर दिवस मनाने की शुरूआत हुई। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में ये फैसला किया गया। इस बैठक को कई सारे संगंठन और सोशल पार्टी का समर्थन मिला। जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
श्री टण्डन ने कहा कि श्रमिकों के बिना उद्योग एवं व्यापार के सुचारू संचालन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। देश की अर्थ व्यवस्था में उद्योग के साथ-साथ श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि यह खेद का विषय है केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए चलायी जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं सराहनीय कदम हैं परन्तु इनका वास्तविक लाभ श्रमिकों को उस अनुपात में नहीं मिल रहा है।
श्री टण्डन ने कहा कि लाखों की संख्या में ऐसे श्रमिक हैं जिनकी पिछली कई पीढियां श्रमिक ही हैं जो अपेक्षित उत्थान होना चाहिए वह नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि दिहाड़ी का मजदूर ईंट भटटा व विभिन्न क्षेत्रों में पुरूष व महिलाएं यहां तक बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं, लेकिन उनको अपेक्षित मजदूरी नहीं मिलती। आवश्यकता इस बात की है कि बाल श्रमिकों पर प्रभावशाली ढंग से पाबन्दी लगायी जाये और इसके लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह भी बहुत ही दुभार्ग्यपूर्ण है कि रिक्शा चालक के रूप मंे आम आदमी का बोझ ढो रहा है परंतु समाज व सरकार के पास ऐसे संवेदनशील कल्याण के लिए कोई योजना नहीं है। श्री टण्डन ने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि पिछले वर्षों में केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं के अंतर्गत श्रमिकों को निःशुल्क साईकिल दुर्घटना बीमा योजना, बेटी पैदा होने व उसके विवाह के लिए अनुदान व सौर ऊर्जा संयंत्र खरीदने के लिए श्रमिकों को लाभ के साथ-साथ ई-श्रमिक कार्ड भी दिये गये हैं।
इस सम्बन्ध में उनके द्वारा आज सहारनपुर परिक्षेत्र के उपश्रमायुक्त शक्तिसेन मौर्य से भी वार्ता की गयी और श्रमिकों के कल्याण के लिए विभाग द्वारा और अधिक सुविधाएं देने की भी मांग की गयी और इसके अंतर्गत उद्योग व व्यापार जगत के सभी संगठन श्रमिकों के कल्याण के लिए बनायी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए सकारात्मक सहयोग करेेंगे।
बैठक में प्रमुख रूप से जिलाध्यक्ष शीतल टण्डन, जिला महामंत्री रमेश अरोड़ा जिला कोषाध्यक्ष राजीव अग्रवाल, प्रांतीय मंत्री रमेश डावर, प्रांतीय संगठन मंत्री पवन गोयल, संरक्षक अनिल गर्ग व गुलशन नागपाल, जिला संयोजक कर्नल संजय मिडढा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलदेव राज खुंगर व उपाध्यक्ष अशोक मलिक शामिल रहे।