वात्सल्य की दरिया सी बहती,
सहनशील तू,कितना कुछ सहती,
त्याग तपस्या की तू देवी,
कुटुंब की निःस्वार्थ तू सेवी,
तेरी किस्मत में नहीं होता आराम,
मातृशक्ति तुझे प्रणाम...
हर रूप है तेरा निर्मल सुवासित,
मातृ रूप तेरा शक्ति आधारित।
बच्चों के लिये तू मोड़ देती तूफानों को,
मार्ग प्रशस्ता बन हटा देती चट्टानों को।
सुकोमलांगिनी तू उठा लेती है कृपाण,
मातृ शक्ति तुझे प्रणाम...
कई हड्डियों के टूटने जैसा प्रसव पीड़ा सहती है,
देख के मुख निज बच्चे का तू हर्षित रहती है।
मात तेरी महिमा है अपार,
तुझसे ही निर्मित है ये संसार।
तेरे चरणों में धरा और आसमान,
मातृ शक्ति तुझे प्रणाम...
सहस्त्र गजों का प्रभाव तुझमें,
यशोदा तो कभी रणचंडी का भाव तुझमें।
तू अदम्य साहस का है प्रतीक,
तेरी ज्योत्स्ना बनाये राहें वलक्ष व निर्भिक।
देवी का साक्षात्कार है माँ, मत करना कभी अपमान ,
मातृ शक्ति तुझे प्रणाम...
रीमा सिन्हा (लखनऊ)