समर्पित दोहे

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


ईश - तुल्य  जो मात हैं, देना उनको मान,

आनन में सद्गुण सजें, दर्शन देता ज्ञान।  


वृद्ध ज्ञान भंडार हैं, देते उत्तम राय।

धूप तेज वे छाँव हैं,शीतल मन सुखदाय।  

   

भौतिक धन क्या मोल है, करें प्रेम-धन दान।

सेवा से मेवा मिले,रहे युवा सुविचार।


उनके मन परिकल्पना, मिलता प्रेमल भाव,

पावन  चरणों में झुकें,  पाते सत्य  - सुझाव।


वृद्ध ज्ञान के  स्रोत हैं,अनुभव  सदा विशाल ।

युवा विनय से सीखते, शोभे उनका भाल।


प्रेमल मन का भाव हो, समदर्शी सुविचार।

सदा समर्थन दीजिए, सत्य सतत है सार ।


जग उन्नति का भाव हो, समता सहज विचार।

झूठ निवारण मन रहे, लें युग सेवक भार ।।


@ मीरा भारती,

  पुणे,महाराष्ट्र।