जज्बात

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क   


ज़ज़्बात कागज पर उतार वो तो निकल गए।

हम समझे भी नहीं और  वो तो निकल गए।


एहसास उनके दिल तक पहुंचे कुछ इस कदर,

हम शरमाते रहे ,मुस्कुरा कर वो तो निकल गए।


बातों में उनकी कशिश थी कुछ इस कदर।

दिल को हमारे धड़काकर, वो तो निकल गए।


चाहत में  हम उनकी , डूबे कुछ इस कदर

नींद रातों की मेरी चुरा कर   वो तो निकल गए।


  हाले ए दिल भलाअपना उनको बताए कैसे,

दिल की धड़कनो को बढाकर वोतो निकल गए।


यूं ही रातो को करवट बदलते रह  हम, 

नींद पर हक अपना जताकर,वो तो निकल गए।


मोहब्बत का उनकी ये असर तो देखो ज़रा ,

दो पल में अपना बना कर ,वो तो निकल गए।


जोर चलता नहीं प्यार पर मधु  अब तो कोई

धड़कनों को बेताब, कर वो तो निकल गए।


                       रचनाकार ✍️

                       मधु अरोरा