केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 की धारा 20 के प्रावधानों का पालन करने का आह्वान - एडवाइजरी जारी
मीडिया संस्थानों, पत्रकारिता का प्राथमिक ध्येय पाठकों, दर्शकों को समसामयिक गतिविधियों को सूचित करना समय की मांग - एड किशन भावनानी
गोंदिया - एक ज़माना था जब हमारी पिछली पीढ़ियां, हमारे बड़े बुजुर्ग रेडियो पर पूरे एक दिन में दो या तीन बार आने वाले समाचारों का इंतजार पूरे शिद्दत के साथ करते थे और जिसके घर रेडियो रहता था उसके घर पंगत लगाकर बैठ जाते और समाचारों का इंतजार करते रहते थे!! कि अब निर्धारित समय आए और आकाशवाणी से समाचार प्रसारित हो ताकि देश विदेश की जानकारी हासिल कर सकें!!
बड़े बुजुर्गों ने बताया कि इसके पहले ऐसे भी दिन थे जब किसी दूसरे शहर में कोई घटना, दुर्घटना होती थी तो उसकी जानकारी कुछ दिनों बाद मालूम पड़ती थी! किसी शासकीय अधिसूचना की तो जानकारी ही नहीं पड़ती थी! याने पूरे देश में तो क्या बाजू के गांव में व शहर में क्या हो रहा है पता नहीं चलता था!! परंतु वर्तमान प्रौद्योगिक, आधुनिक डिजिटल युग में, ऐसा मीडिया नेटवर्क बिछा दिया है कि मिनटों ने तो क्या सेकंडों में ही विश्व में कहीं भी होने ताजा हालात की जानकारी हो जाती है!!
साथियों हालांकि शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई जिसका भारत की आजादी में भी महत्वपूर्ण रोल रहा फिर शासकीय उसके बाद निजी टीवी चैनलों केबल टेलीविजन, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, समाचारों की अनेकों ऐपों से लेकर ऐसी तकनीकी का विकास हुआ कि यह सब देख कर हमारे बड़े बुजुर्ग हैरान हैं! परंतु बड़े बुजुर्गों की कहावत है रजाई जितनी पानी में डूबेगी उतनी ही भारी होती जाएगी यानें जितनी सुख सुविधाएं हम पाएंगे उसी अनुरूप हानियों को भी उठाना होगा बस!! यही से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, केबल टेलीविज़न इत्यादि मीडिया साधनों, संसाधनों पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की ज़रूरत पड़ी वैसे तो अनेक कानून बने हैं परंतु आजहम केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 की चर्चा करेंगे।
साथियों वर्तमान परिपेक्ष के दिनों में देखें तो आर्टिकल 370 हटाने, तीन तलाक बिल, हिज़ाब,रूस -यूक्रेन युद्ध से लेकर गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली में हुए धार्मिक जुलूस पर हमलों के बारे में हमने टीवी चैनलों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग से लेकर बहुत डिबेट देखें कि कैसे डिबेट में पक्ष-विपक्ष, समुदायों, पार्टियों समाचार के पैनलिस्ट आपस में अनेक मुद्दों पर शाब्दिक बाण चलाते हैं, निजी टिप्पणियां करते हैं, यहां तक कि डिबेट में हम पैनलिस्ट की डिबेट में आपसी मारपीट भी लाइव टेलीविजन चैनलों पर देख चुके हैं जिसमें सामाजिक समरसता को गहरा आघात पहुंचता है।
साथियों बात अगर हम हाल में हुई गतिविधियों के टीवी चैनलों पर प्रसारण की करें तो, हालिया गतिविधियों से दर्शकों को सूचित कराने के क्रम में जिस तरह कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा उदराक मार्ग का चयन किया गया, उसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर ‘सामाजिक समरसता’ को गहरा अघात पहुंचा है। जिसके दृष्टिगत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई तथा उन सभी मीडिया संस्थानों को चिन्हित किया गया जिन्होंने विगत दिनों खबरों को विध्वंसक अंदाज में पेश कर समाज में विभिन्न संप्रदायों के लोगों के मध्य वैमनस्यता बढ़ाने काम किया है। अब इसी पर अंकुश लगाने की दिशा में सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी की गई यह दिशानिर्देश बहुत उपयोगी मानी जाएगी। आइए, मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश पर एक नजर डालते हैं।
साथियों बात अगर हम सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिनांक 23 अप्रैल 2022 को जारी दो पेज की एडवाइजरी की करें तो पीआईबी के अनुसार, मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश में उल्लेखित किया गया है कि केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत किसी भी न्यूज चैनल कोई भी ऐसा कार्यक्रम में प्रसारित न करें, जिसमें (1) अच्छे स्वाद या शालीनता के खिलाफ अपराध (2) मित्र देशों की आलोचना (3) धर्मों या समुदायों पर हमला या धार्मिक समूहों की अवमानना करने वाले दृश्य या शब्द या जो सांप्रदायिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हों (4) कुछ भी शामिल है, अश्लील, मानहानि कारक, जानबूझकर, झूठे और विचारोत्तेजक मासूमियत और आधा सत्य; निहित कार्यक्रमों को चैनलों पर प्रसारित करने से रोक लगाने को कहा गया है।
साथियों विगत कुछ दिनों से न्यूज चैनलों द्वारा खबरों को इस तरह से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जो कि सूचनाई रिफाइनरी में परिष्कृत होने के उपरांत अप्रमाणिक, दिगभ्रमित, अतिशयोक्तिपूर्ण, सामाजिक रूप से अस्वीकृत भाषा शैली, चैनलों द्वारा प्रसारित, जो कि उपरोक्त अधिनियम की धारा 20 की उप-धारा (2) के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। लिहाजा अब मंत्रालय की तरफ से चैनलों को ऐसे कार्यक्रमों प्रसारण करने बचने के लिए कहा है, जिससे समाज में विद्वेश बढ़े। अगर इसके बावजूद भी अगर किसी चैनलों द्वारा ऐसे विध्वंसक और विभाजनकारी कार्यक्रम प्रसारित किए गए तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
साथियों मंत्रालय ने एडवाइजरी में कहा कि टीवी के डिबेट के दौरान असंसदीय, सामाजिक रूप से अस्वीकार्य व भड़काऊ भाषा दिखाए जाने से दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकते हैं। सांप्रदायिक वैमनस्य बढ़ाते हुए शांति को भंग कर सकते हैं।मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा,अधिनियम, में निर्धारित प्रावधानों के तहत, चैनलों या कार्यक्रम के प्रसारण को प्रतिबंधित किया जा सकता है। इस अधिनियम का उद्देश्य केबल नेटवर्क की सामग्री और संचालन को विनियमित करना है। यह अधिनियम 'केबल टेलीविज़न नेटवर्क के बेतरतीब विकास' को नियंत्रित करता है।
साथियों बात अगर हम उपरोक्त अधिनियम की धारा 20 की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार, जनहित में केबल टेलीविजन नेटवर्क के संचालन को प्रतिबंधित करने की शक्ति।—1[(1) ] जहां केंद्र सरकार जनहित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है, वह ऐसे क्षेत्रों में किसी भी केबल टेलीविजन नेटवर्क के संचालन को प्रतिबंधित कर सकती है, जैसा कि वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस संबंध में निर्दिष्ट कर सकती है। 2[(2) जहां केंद्र सरकार के हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है-(i) भारत की संप्रभुता या अखंडता; या(ii) भारत की सुरक्षा; या(iii) किसी विदेशी राज्य के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध; या (iv) सार्वजनिक आदेश, शालीनता या नैतिकता, यह आदेश द्वारा, किसी भी चैनल या कार्यक्रम के प्रसारण या पुन: प्रसारण को विनियमित या प्रतिबंधित कर सकता है। (3) जहां केंद्र सरकार यह मानती है कि किसी चैनल का कोई भी कार्यक्रम धारा 5 में निर्दिष्ट निर्धारित कार्यक्रम कोड या धारा 6 में निर्दिष्ट निर्धारित विज्ञापन कोड के अनुरूप नहीं है, तो वह आदेश द्वारा, प्रसारण को विनियमित या प्रतिबंधित कर सकती है या ऐसे कार्यक्रम का पुन: प्रसारण।]
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,आओ सामाजिक समरसता बनाएं। केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 की धारा 20 के प्रावधानों का पालन करने का आह्वान मंत्रालय द्वारा कर एडवाइजरी जारी की गई है। मीडिया संस्थानों, पत्रकारिता का प्राथमिक ध्येय पाठकों और दर्शकों को समसामयिक गतिविधियों को सूचित करना समय की मांग है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र