मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी एक ऐसा दृष्टिïगोचर क्षेत्र है जोकि पूर्ण प्रतिज्ञा व आनंदमय होता है। इसमें मिनिमली इंवेसिव तकनीकों का इस्तेमाल कर के स्पाइनल कोर्ड और वर्टिब्रल की सर्जरी करना शामिल है। कंवेशनल स्पाइन सर्जरी की तुलना में इस तकनीक के मुख्य लाभ है: कंवेशनल स्पाइन सर्जरी की तुलना में मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी अधिक सुरक्षित है व ठीक होने में भी कम समय लेती है। इस में ऑपरेशन के बाद जटिलताएं अर्थात किसी प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होने के कम अवसर होते हैं। दूसरा, मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी में सर्जन द्वारा स्पाइन को प्रवेश क रने की इज्जाजत देने के लिए अनुक्रमत्व विस्तार द्वारा मरीज की पीठ की मांसपेशियों के जरिए एक नली बनाई जाती है। इस से मिनिमल कोशिका नष्टï हो जाती है व इस से दर्द भी कम हो जाता है। कंवेशनल सर्जरी में वर्टिब्रे (पीठ की रीढ़ की हड्ïडी) के टुकड़े की मांसपेशियां निकाल दी जाती है। मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी में ऑपरेशन के निशान (ऑपरेटिव स्कार) एक या अधिक छोटे-छोटे निशान जिन का माप एक इंच तक होता है से बन जाते है। इस के विपरीत कंवेशनल सर्जरी में एक अकेला बड़ा सा निशान पड़ जाता है।

मिनिमली इंवेसिव स्पाइन सर्जरी को ‘कीहोल सर्जरी’ के नाम से भी जाना जाता है जिस में एक पतली दूरबीन जैसे एक यंत्र जिसे ‘एंडोस्कोप’ कहा जाता है इस्तेमाल की जाती है जो कि एक छोटे से चीरे के द्वारा अंदर डाली जाती है। एंडोस्कोप एक छोटे विडियो कैमरे से जुड़ा होता है जो कि मरीज के शरीर के अंदर की सभी गतिविधियों को ऑपरेशन के कमरे में रखे टीवी की स्क्रीन पर प्रदर्शित की जाती है। एक या अधिक अतिरिक्त आधा इंच के चीरे के द्वारा फिर से एक छोटी शल्यक्रिया यंत्र डाला जाता है। यह चीरे सर्जरिक्ल पट्ïटी द्वारा ढक दिए जाते है व कुछ महीनों बाद इस के निशान स्वयं दूर हो जाते है। वर्टिब्रे के नष्टï होने के कारण दर्द से राहत दिलाने के लिए यहां एक और नयी तकनीक ‘परकटेनियस वर्टिब्रोप्लास्टी’ आयी है जिस में केवल एक सुई लगाई जाती है, दिशा निर्देशों के अंतर्गत इस से हड्ïडी सिमेंट के संक्रमण के लिए फ्रैक्चर्ड पीठ की रीढ़ की हड्ïडी में लगाई जाती है।

एम आई एस एस सभी मरीजों के लिए पूर्ण नहीं है। इस के सभी मरीज व्यक्तिगत रूप से मूल्यंाकित किए जाते हैं और उन के अनुसार उन्हें परामर्श दिया जाता है। यदि डाक्टर मरीज को अत्यधिक परम्परागत खुली अवधारणा को प्रमाणित करते है तो इस का मतलब यह नहीं है कि इस को ठीक होने का समय बहुत लंबा या कष्टïदायक चलेगा। इस के लिए मरीज को उपलब्ध सभी शल्यक्रिया विकल्पों के बारें में स्वयं को शिक्षित करना चाहिए और अपने डाक्टर के साथ इन विकल्पों के बारें में चर्चा व विचार विर्मश करना चाहिए और फिर उन्हें विश्वास दिलाए कि वह आप के लिए बेहतर विकल्प का चुनाव करेंगे जो आप की सुविधानुसाार प्रभाव दिखा सके। खिसकी या आगे की ओर बढ़ी हुई हड्ïिडयों के लिए।  स्पाइनल फ्यूजन,जो कि अधिकतर डि-जंरेटिव डिस्क,ट्रोमा,स्पोंडिलोलिस्थेसिस की स्थिति में अधिकतर की जाती है।  कुरूपता संबधी सुधारों जैसे पीठ की रीढ़ की हड्ïडी के टेढ़ेपन को ठीक करने के लिए। बढ़ी हुई हड्ïडी और हैरीनिएटिड को निकालने के लिए। रीढ़ की हड्ïडी टूटने के कारण दर्द को कम करने के लिए। 

एम आई एस एस के लाभ 

यहां ओपन सर्जरी की तुलना में एम आई एस एस के बहुत से लाभ है:-

:- जल्द व शुद्घ निदान होना.

:- अस्पताल में ज्यादा दिन तक भर्ती होने से राहत व जल्द रोग-मुक्ति.

:- मिनिमल कोशिकाओं के नष्टï हो जाने के कारण दर्द का कम हो जाना.

:- ऑपरेशन के बाद संक्रमण व दुष्प्रभाव होने की संभावना का न्यूनतम हो जाना.

:- विधिपूर्वक शल्यक्रिया तकनीक को पूर्ण करना.

:- न्यूनतम चिन्ह रहना.

:- किसी प्रकार की कमजोरी न रहना.

साधारणत: मरीज सर्जरी के बाद अगले ही दिन से अपने घर जा सकता है परंतु केवल अधिक आधुनिक प्रक्रिया के केस को छोडक़र जिस में मरीज को तीन से चार दिनों तक अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है.इस के बाद 5 दिनों के अंदर मरीज अपनी रोजाना की क्रियाएं कर सकता है व 10 दिन बाद वह अपने कार्य पर फिर से वापस जा सकता है.

डॉ. आयुष शर्मा