हाथों की लकीरें

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

लकीरों की बात कहूं क्या?

तेरे मेरे हाथ की आड़ी तिरछी लकीरे,

किसी को फकीर,

 किसी को अमीर बनाती लकीरें

तेरे मेरे हाथ की लकीरें 

कभी प्यार कभी जुदा करती है लकीरें

उतार-चढ़ाव जिंदगी का दिखाती है लकीरें

हर मुसीबत में लड़ना सिखाती है लकीरें

तेरी मेरी जिंदगी का फैसला करती है लकीरें

ईश्वर की अजब लीला देखो

पल-पल बदलती है लकीरें

हम तुम आए नहीं जहांँ में

उससे पहले बनी यह लकीरें

पूर्व जन्म का इतिहास बताती है लकीरें

तेरे मेरे दिलों का हाल बताती है लकीरें

किसका कितना दाना पानी है यहांँ

 बताती है लकीरें

 देश विदेश का भ्रमण कराती है लकीरें

दोस्ती दुश्मन को निभाती है लकीरें

क्या कहूंँ हर पल का हाल बताती है लकीरें

कभी मिलाती कभी जुदा करती है लकीरें।

                   रचनाकार ✍️

                   मधु अरोरा