एक अक्षर की जांच कराने के लिए पीड़ित ने कई प्रार्थनापत्र प्रशासनिक अधिकारियों को दिए। लेकिन किसी ने सुनाई नहीं की। अनसुनी और अनदेखी के चलते पीड़ित ने उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान झांसी कार्यालय तक आपबीती कथा जरिए पत्र बताई। कार्यालय पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान झांसी ने जिलाधिकारी बांदा को 16 सितंबर 2021 में पत्र लिखकर शिकायती पत्र का हवाला देते हुए प्रकरण की जांच कराकर प्रार्थनापत्र का निस्तारण करते हुए जांच के परिणाम से अवगत कराने को कहा।
धीरे-धीरे जांच का दौर भी शुरू हुआ। जिलाधिकारी कार्यालय से जांच कार्यवाही के लिए सदर तहसील पत्र पहुंचा और शुरू हुआ जांच का दौर। लेखपाल से लगाकर नायब तहसीलदार ने प्रकरण की बिंदुवार जांच करने के उपरांत मामला सदर एसडीएम ;आइएएसद्धके यहां पहुंचा। लगातार पीड़ित पक्ष ने अपनी शिकायत और होने वाली जांच कार्यवाही का पीछा किया। संबंधित अधिकारियों से जल्द ही प्रकरण के निस्तारण को लेकर फरियादों का दौर चलता रहा। लेकिन छह माह पूरे होने को हैं और प्रकरण की जांच रिपोर्ट अभी सदर तहसील से जिलाधिकारी कार्यालय जिसकी लगभग दूरी सौ मीटर से भी कम है नहीं पहुंची।
पीड़ित पक्ष रीना पत्नी राजकुमार ने एक बार फिर पुलिस अधीक्षक सतर्कता विभाग झांसी को उनके द्वारा भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए बेहद खेद के साथ कहा है कि जिलाधिकारी बांदा ने इस शिकायत की जांच एसडीएम सदर को सौंप दी। जो एक आईएएस अधिकारी हैं। प्रथम दृष्टया जांच में डूडा विभाग के अधिकारी व दो कर्मचारियों को दोषी पाए जाने की भी बात बताई गई। लेकिन कदाचार के इस मामले में एक गरीब को मिलने वाले इंसाफ के खिलाफ बड़े अधिकारी बेइमानी के पक्ष में किस कदर खड़े नजर आते हैं यह बात समझ में नहीं आती।
पीड़ित ने झांसी भेजे गए पत्र में उक्त आरोपों के साथ यह भी कहा है कि शिकायत का जांच निष्कर्ष जनवरी 2022 में ही निकल आया था लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझा न ही दंड देना उचित समझा। पीड़ित ने झांसी भेजे गए खत के अंतिम छोर में यह भी दर्शाया है कि जनवरी 2022 की जांच रिपोर्ट जो जिलाधिकारी को भेजी जानी थी तीन माह बीत जाने के बाद अभी तक इनके ;एसडीएम कार्यालयद्ध यहां दबी रखी हैं। पीड़ित ने पत्र में कुछ ऐसा सवाल भी किया है कि आखिर ऐसी कार्यवाही किस मंशा को उजागर करती है।
अंत में पीड़ित रीना ने दोषी को दंड और प्रार्थिया को आवास दिलाए जाने में मदद करने का फरियादी पत्र लिखकर कहा है कि प्रार्थिया गरीबी की रेखा के नीचे जिंदा और उक्त लाभ पाने की हकदार है। जैसा कि राजस्व अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्वीकारा है। पीड़ित पक्ष से जब मुलाकात की गई तो उसने आपबीती व्यथा कथा सुनाते हुए एक दर्दभरी लाइन कही कि उसे अपनी झूठ, अपनी गलतियों पर गरूर था। दफन हो रहा मेरा भरोसा जो बेकसूर था। पीड़ित ने कहा कि अब तो मुझे झांसी वाले साहब पर भरोसा है कि मुझे जल्द ही न्याय मिल सकेगा।