युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
अकेले हाथों बच्चों को पालना बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। जब पति पत्नी दोनों साथ में होते है तब जिम्मेदारियां बंट जाती है। बच्चे को हर रूप से सक्षम बनाना हर मां-बाप की जिम्मेदारी होती है, सपना होता है, फ़र्ज़ होता है। मां-बाप दोनों साथ मिलकर अपने बच्चों को असली दुनिया दिखाते हैं समझ और संस्कार देते है साथ में जीने के सही तरीके समझाते है। लेकिन कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ ऐसा वक्त भी आता है कि इस जिम्मेदारियों का बोझ किसी एक के कंधे पर आ जाता है। आज के समय में सिगंल पैरेंट की तादात काफी है। इस स्थिति में सारी जिम्मेदारियों का बोझ एक ही के कंधो पर आ जाता है। ऐसे में अगर सिंगल पैरेंट एक माँ हो तो क्या होगा। एक सिंगल मदर को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए , जिससे वह अपने बच्चे के और करीब आ पाएंगी और बच्चे के साथ एक सेतु रच पाएगी।
अकेली माँ को सबसे पहले लिए यह बेहद जरूरी है कि वह अपने जीवन में हमेशा सकारात्मक रहने की कोशिश करें और मजबूत मनोबल रखें, क्योंकि अब आप एक सिंगल मदर है तो इस स्थिति में आपको सारी जिम्मेदारियां खुद ही वहन करनी होंगी। सबसे पहले तो सिंगल मदर को आर्थिक रुप से सक्षम होना बेहद जरूरी है तभी आप अपने बच्चे को एक बेहतरीन ज़िंदगी दे पाओगे। साथ में समय का एडजस्टमेंट भी मायने रखता है। सबसे पहले अपने पैरों पर खड़ा रहना होगा, पैसें इंसान की आधी मुश्किलें ख़त्म कर देते है। अगर आप नौकरी करने में सक्षम है तो ही सिंगल पेरेंटिंग का सोचे वरना बेहद मुश्किलों का सामना करने की नौबत आती है।
साथ में सिगंल मदर इस बात की गांठ बांध लें कि उन्हें अपने बच्चों को उनका पूरा वक्त देना ही देना होता है, एक साथ माँ पिता दोनों का किरदार निभाते बच्चे के जीवन की हर कमी पूरी करनी होती है। भले ही आपके पास हजारों काम हो उस समय में से समय बचा कर आपको बच्चें को देना है। कभी-कभी आपका दिन ऑफिस में अच्छा न गुज़रा हो, आपका मूड़ खराब हो या कहीं आने जाने का मन न हो इस बात का असर बच्चे के साथ आपके व्यवहार पर नहीं पडना चाहिए। ध्यान रहे कि यह समय सिर्फ़ आप और आपके बच्चे का ही हो। कई बार वक्त की कमी के चलते बच्चे अपनी मां से दूर होने लगते हैं और उन्हें लगता है कि उनकी मां उनसे प्यार नहीं करती है। और अपने पिता की कमी महसूस करने लगता है जिस वजह से कई बार बच्चे अवसाद ग्रस्त भी हो जाते है।
अकेले सारी जिम्मेदारी संभालते वक्त गुस्सा या चिड़चिड़ापन आना लाज़मी है, लेकिन अपने गुस्से को थोड़ा काबू करने की कोशिश करें। अगर आप हर बात पर गुस्सा करने लगेंगी तो इससे आपका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इसके अवाला दूसरों का गुस्सा और अपने काम का गुस्सा अपने बच्चों पर न निकालें। कई बार बच्चे ऐसी हरकतें कर देते हैं जिससे गुस्सा आने लगता है लेकिन उस समय उन्हें डाटने और पीटने की बजाय बच्चे से शांति से बात करें और खुद को भी शांत रखें।
सिंगल मदर को अपने बच्चे को समझना बेहद जरूरी है। आप दुनिया की बातों को परे रखकर सिर्फ़ अपने बच्चे पर ध्यान दें क्योंकि अब वह आपका और आप उनका इकलौता सहारा हैं। इसलिए अपने बच्चे के स्वभाव को समझने की कोशिश करें। वह चीजों के प्रति कैसी सोच रखते हैं , इस बात पर भी ध्यान दें। आप अपने बच्चे को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकती हैं , इस स्थिति में अपनी क्षमता को पहचाने।
समाज सिंगल मदर को हंमेशा शंका की द्रष्टि से ही देखता है, ऐसे में जब बच्चे बड़े हो जाते है तब उनकी शादी में बाधा आना लाज़मी है। हर कोई ये सोचता है की माँ में ही कोई एब होगा जो डिवोर्स लेकर अकेली रहती है। और कई बार कुछ डिवोर्सी मदर भी अपने बेटे के प्रति इतनी पज़ेसिव हो जाती की बेटे को बहू के साथ बांटने से डरती या कतराती है। अगर आपके संस्कार सही होंगे तो बेटा आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा, बहू पर विश्वास रखिए, बेटी जितना सम्मान दीजिए बेझिझक सौंप दीजिए बेटा बहू को। सही और सहज व्यवहार से बेटे बहू के करीब रहिए ज़िंदगी आसान बन जाएगी। और अगर आपका बेटा न होकर बेटी है तब भी आपको अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा। बेटी के ससुराल चले जाने के बाद आपको अकेले ज़िंदगी काटनी होगी। या तो दामाद ऐसा ढूँढिए जो आपकी जिम्मेदारी लेने के लिए राज़ी हो। क्यूँकि एक उम्र के बाद आपको किसीके सहारे की जरूरत महसूस होती है। तो कोई भी निर्णय इन सारी बातों को ध्यान में रखकर लें।
खुद सक्षम बनें और अपने बच्चे को साहसिक बनाएँ। सिंगल मदर का किरदार निभाना चुनौती है, पर कुछ तैयारियों के साथ इस जिम्मेदारी को आसान बनाया जा सकता है। कोशिश करें कि आपके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहें और आपका बच्चा भी ज़िंदगी की हर जंग लड़ने में सक्षम बनें। अपने बच्चे के सामने अपना दुख कम जाहिर करें। अपने बच्चे को भी हंसने की कला सिखाएं और किसी भी मुश्किल परिस्थिति का हंसते हुए सामना करें।
(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु