शारीरिक और मानसिक, दोनों ही तरह की सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए नियमित रूप से योगासनों के अभ्यास को आवश्यक माना जाता है। योग, शरीर में ऊर्जा के संचार को बढ़ावा देने के साथ कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। हलासन या प्लो पोज ऐसा ही एक अद्भुत योग मुद्रा है जिसका नियमित अभ्यास आपको कई तरह के स्वास्थ्य लाभ दे सकता है। हलासन योग शरीर को उल्टा करके किया जाने वाली योग मुद्रा है जो शरीर को स्ट्रेच करने के साथ मजबूती और आराम देने में मदद करता है।
हलासन एक क्लासिक योग मुद्रा है। इसमें आपकी पीठ के बल लेटकर और पैरों को अपने सिर के पीछे की ओर ले जाना होता है। इस मुद्रा में शरीर की स्थिति हल के आकार की हो जाती है। योग विशेषज्ञों के मुताबिक हलासन योग का अभ्यास रक्त परिसंचरण को बढ़ाने, रक्तचाप में सुधार करने और रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मददगार माना जाता है। आइए आगे रोजाना इस योग के अभ्यास से शरीर को होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।
हलासन योग का अभ्यास कैसे किया जाए?
हलासन योग का अभ्यास थोड़ा कठिन है, इसलिए किसी विशेषज्ञ के प्रशिक्षण में ही इसका अभ्यास किया जाना चाहिए। प्लो पोज करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब सांस लेते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाते हुए सिर के पीछे ले जाएं। अंगूठे से जमीन को स्पर्श करें। हाथों को जमीन पर सीधा रखें और कमर को जमीन पर ही सटाए रखें। कुछ समय तक इसी अवस्था में ही बनें रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में वापस आएं।
हलासन योग के क्या फायदे हैं?
योग विशेषज्ञों के मुताबिक नियमित रूप से प्लो पोज का अभ्यास करना आपके शरीर को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। शरीर की एकाग्रता और समन्यवय को बढ़ाने के साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में भी इस योग के अभ्यास को फायदेमंद माना जाता है।
गर्दन, कंधे, पेट और पीठ की मांसपेशियों को मजबूती देता है।
तंत्रिका तंत्र को शांत करने के साथ तनाव और थकान को कम करता है।
पैरों की मांसपेशियों को टोन करने के साथ पैरों के लचीलेपन में सुधार करता है।
थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती देने में सहायक योगासन है।
रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं की सेहत को बेहतर बनाए रखने में मददगार योगासन है।
ध्यान रखने वाली बात
यदि आपकी गर्दन में चोट लगी है या उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं तो हलासन का अभ्यास करने से बचें। महिलाओं को गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञ की सलाह के आधार पर ही इस योग का अभ्यास किया जाना चाहिए।