भद्राकाल में क्यों नहीं किया जाता होलिका दहन, ऋषिकेश व मिथिला पंचांग से कब है होली

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

वेदाचार्य रमेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है. इसलिए 18 मार्च के भोर में होलिका दहन किया जायेगा. पूर्णिमा के इस वर्ष होलिका दहन 17 मार्च को व होली 19 मार्च को मनायी जायेगी. मिथिला पंचांग व ऋषिकेश पंचांग के अनुसार 19 मार्च को होली मनायी जायेगी. वेदाचार्य रमेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है. इसलिए 18 मार्च के भोर में होलिका दहन किया जायेगा. पूर्णिमा के अगले दिन यानी 19 मार्च को होली मनायी जायेगी. पंडित गुणानंद झा बताते हैं कि भद्रा काल में होलिका दहन करने से अनिष्ट होता है.

भद्रा काल में नहीं होता होलिका दहन

वेदाचार्य रमेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि फाल्गुन पूर्णिमा 17 मार्च को दोपहर एक बजकर एक मिनट में प्रवेश कर रही है, जो 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. भद्रा 17 मार्च को रात्रि 12 बजकर 56 मिनट में समाप्त हो रही है. भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है. इसलिए 18 मार्च के भोर में होलिका दहन किया जायेगा.

पूर्णिमा के अगले दिन होती है होली

वेदाचार्य रमेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि पूर्णिमा के अगले दिन होली मनायी जाती है. 18 मार्च में पूर्णिमा दोपहर तक रहने के कारण होली 19 मार्च को खेली जायेगी. चौत्र माह के पहले दिन होली मनायी जाती है.

भद्रा में होलिका दहन करने से होता है अनिष्ट

पंडित गुणानंद झा बताते हैं कि मिथिला पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 17 मार्च को अपराह्न एक बजकर 12 मिनट से प्रारंभ हो रहा है जो 18 मार्च अपराह्न एक बजकर तीन मिनट तक है. भद्रा 17 मार्च को सुबह छह बजे से प्रारंभ हो रहा है जो रात्रि एक बजे समाप्त होगा. भद्रा समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जाता है. भद्रा में होलिका दहन करने से अनिष्ट होता है. होलिका दहन 17 मार्च रात्रि एक बजे के बाद किया जायेगा. 19 मार्च को होली मनायी जायेगी.

दो अप्रैल से चौत्र नवरात्र होगा शुरू

दो अप्रैल से हिंदुओं का नववर्ष और चौत्र नवरात्र प्रारंभ हो रहा है. चौत्र नवरात्र दो अप्रैल से प्रारंभ होकर 11 अप्रैल को समाप्त होगा. दो अप्रैल को सुबह से 11 बजकर 1 मिनट तक कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त है।