वक्त का खेल

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


वक्त -  वक्त का खेल है आज

एक जैसा न रहता वक्त हमेशा

कभी उत्पीड़न तो कभी प्रसन्न

वक्त हमेशा रहता है बदलता  ।


उल्टा के देख प्रसिद्धवान की अतीत

आज जो जग में चमकता सितारा

उनका भी एक वक्त था यहां दैनय

मेहनत के बल पे चमकते आज । 


भास्कर बनने के लिए हमें

तपना पड़ेगा इस अग्नि में

मेहनत के बाद मिलती जय

वक्त को तू मत कर बर्बाद ।


जो पढ़ाई लिखाई के वक्त में

न पढ़कर करता ऐश ओ मोज

वक्त उसे करती हमेशा बर्बाद

वक्त वक्त का खेल है आज ।


अमरेश कुमार वर्मा

जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार