ब्यूरो , सीतापुर – मनोज कुमार
जनपद सीतापुर में जिला उद्यान अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि आम गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए सम - सामयिक महत्व के कीट एवं रोगो का उचित समय प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है । क्योंकि बौर निकलने से लेकर फल लगने तक की अवस्था अत्यन्त ही संवदेनशील होती है। और वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रूप से भुनगा एवं मिज कीट तथा खर्रा रोग से क्षति पहुंचने की सम्भावना बनी रहती है। जिससे आम की बागों में भुनगा , कीट ,कोमल पत्तियों एवं छोटे फलों के रस चूसकर आम के पेड़ सहित आम को हानि को पहुंचाते हैं। और जिससे आम प्रभावित होते हुये सूखकर नीचे गिर जाता है।
इसी के साथ ही यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है। जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जम जाती है। इसके फलस्वरूप पत्तियों द्वारा हो रही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मंद पड़ जाती है। इस प्रकार से आम के बौर में लगने वाला मिज कीट मंजरियों एवं तुरन्त बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती है।, जिसकी सूँडी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुंचाती है। और इससे प्रभावित आम का भाग काला पड़ कर सूख जाता है।
उपरोक्त आम में लगने वाले कीट , भुनगा एवं मिज कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड (0.3मि0ली0 प्रति लीटर पानी) या क्लोरपाइरीफस (2.0मि0ली0/ली0 पानी) अथवा डायमेथोएट (2.0मि0ली0/ ली0 पानी) की दर से घोल बनाकर आम के पेड़ो पर छिड़काव कर आम को सुरक्षति किया जा सकता है । इसी प्रकार खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं डंठलों पर सफेद चूर्ण के समान फफॅूद की वृद्धि दिखाई देती है। प्रभावित भाग पीले पड़ जाते हैं। तथा मंजरियॉं सूखने लगती हैं। इस रोग से बचाव हेतु ट्राइडोमार्फ 1.0मिली0 ली0 या डायनोकेप 1.0मिली0ली/ली0पानी की दर से भुनगा कीट के नियंत्रण हेतु प्रयोग किये जा रहे घोल के साथ मिलाकर छि़काव किया जा सकता है।
और बागवानों को यह भी सलाह दी जाती है कि बागों में जब बौर पूर्ण रूप से खिला हो । तो उस अवस्था में कम से कम रासायनिक दवाओं का छिड़काव किया जाये । जिससे पर - परागण क्रिया प्रभावित न हो । इसी के साथ साथ कीटनाशक के प्रयोग में बरती जाने वाली सावधानियॉं कुछ निम्न तरीके की है
जैसे कि कीटनाशक के डिब्बों को बच्चों व जानवरों की पहुँच से दूर रखा जाय। और कीटनाशक का छिड़काव करते समय हाथों में दस्ताने , मुंह में मास्क लगाये या रुमाल बांधे। तथा ऑखों पर चश्मा पहनकर ढंक लेना चाहिए , जिससे कीटनाशी त्वचा व ऑखों में न जाये। और कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय जब हवा की गति कम हो। तब ही कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए अथवा हवा चलने की विपरीत दिशा में खड़े होकर करना चाहिए।
कीटनाशक के खाली पाउच / डिब्बों को मिट्टी गहरा गड्डा खोद कर नीचे जमीन में दबा देना चाहिए। और कीटनाशक के खाली पाउच / डिब्बों को जमीन में दबा देने से बच्चे व जानवर भी सुरक्षित रहेंगे ।