सुख तो आना जाना है

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

जैसे बसंत 

जैसे बरसात 

जैसे पतझड़

जैसे गर्मी

जैसे सर्दी

जैसे आंधी

जैसे तूफान

जैसे आँसू

जैसे पीड़ा

जैसे धूप

जैसे छाँव

जैसे दिन

जैसे रात

वैसे ही सुख तो आना जाना है

कब कहाँ 

ठहरता है ये

आता है जाता है

ऋतुओं

मौसमों

सूरज

चाँद

परेशानियों

तकलीफ़ों

जैसा

न रुका है

न ठहरा है

सुख तो आना जाना है

बस रुकती हैं

तो बेरुखीयां, बेबसी ,दर्द

और तन्हाईयां......।।

....मीनाक्षी सुकुमारन

       नोएडा