दोहों के रंग : पति-पत्नी के संग

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


नर-नारी यह चाहते,क़िस्मत जाए जाग।

सात वचन के संग में,हँसता हो अनुराग।।


नारी करवा पूजकर,माँगे यह वरदान।

हे !माता देना सदा,मेरे पति को जीवनदान।।


नारी की खुशियाँ तभी,जब तक संग सुहाग।

पत्नी बिन फुफकारता,तन्हाई का नाग।।


काया का सौंदर्य भी,चाहे सदा सुहाग।

वरना हर शृंगार तो,हो जाते बेराग।।


सचमुच में अभिशाप है,नारी,बिन सिंदूर।

पत्नी बिन पति से सदा,खुशियाँ होतीं दूर।।


पत्नी का होना सदा,बहुत बड़ा वरदान।

बिन पति मिलता है कहाँ,नारी को सम्मान।।


जीवन मुरझाता सदा,नारी हो बेनूर।

यदि सुहाग उजड़े कभी,आता दुख का पूर।।


दम्पति तब खुशहाल हों,जब हों दोनों साथ।

जीवन गति करता तभी,रहे हाथ में हाथ।।


यश,वैभव पति को मिले,पुष्पित रहे सुहाग।

यही कामना बलवती,करती पूजन,त्याग।।


             -प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे