अस्थमा रोगियों को रोजाना करना चाहिए इन योगासनों का अभ्यास

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

दुनियाभर में लगभग 300 मिलियन से अधिक लोग अस्थमा की समस्या से परेशान हैं। सांस से संबंधित यह क्रोनिक बीमारी लोगों में कई तरह की जटिलताओं का कारण बन सकती है। अस्थमा में वायुमार्ग संकीर्ण या सूज जाते हैं और अतिरिक्त बलगम का उत्पादन होने लगता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है और जब आप सांस छोड़ते हैं तो खांसी, सीटी की आवाज (घरघराहट) हो सकती है। आमतौर पर, अस्थमा की जटिलताओं को कम करने के लिए रोगियों को इनहेलर के प्रयोग की सलाह दी जाती है। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दैनिक जीवन में कुछ योगासनों को शामिल करके न सिर्फ अस्थमा की जटिलताओं का कम कर सकते हैं, साथ ही यह सांस की तकलीफ में भी सहायक मानी जाती है। योग विशेषज्ञों के अनुसार नियमित रूप से योगासनों के अभ्यास से अस्थमा के लक्षणों को ठीक करने में मदद मिल सकती है। योगासन आपके फेफड़ों को मजबूती देते हैं, जिससे अस्थमा के लक्षणों को ठीक करने में मदद मिल सकती है। 

पर्स्ड लिप ब्रीदिंग

अस्थमा रोगियों के लिए कुछ सांस वाले अभ्यास काफी फायदेमंद हो सकते हैं, पर्स्ड लिप ब्रीदिंग ऐसा ही एक अभ्यास है। इसके अभ्यास से सांस की तकलीफ से राहत मिलती है। इसका अभ्यास आपके फेफड़ों में ऑक्सीजन को बढ़ाने के साथ सांस लेने की तकलीफ को कम करने में सहायक माना जाता है। रोजाना 5-10 मिनट इस योग के अभ्यास से अस्थमा की जटिलताओं को कम करने में राहत मिल सकती है।

ब्रिज पोज योग

ब्रिज पोज या सेतुबंधासन योग आपकी छाती को खोलता है और गहरी सांस लेने में मदद करता है जिससे अस्थमा की समस्या से राहत मिल सकती है। सेतुबंधासन योग का अभ्यास कमर की समस्याओं को दूर करने के साथ फेफड़ों की शक्ति को बढ़ावा देने में भी सहायक माना जाता है। इसका रोजाना 5-10 मिनट तक अभ्यास करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

कोबरा पोज

ब्रिज पोज़ की तरह कोबरा पोज़ आपकी छाती की मांसपेशियों को फैलाने में सहायक है जिससे अस्थमा और इससे संबंधित सांस की समस्याओं से राहत मिल सकती है। यह रक्त परिसंचरण को भी बढ़ावा देता है, जो बेहतर सांस लेने में मदद करती है। फेफड़ों को स्वस्थ और सांस की समस्याओं को दूर करने में इस पोज के अभ्यास को काफी फायदेमंद माना जाता है।