"माँ तुमसा कोई और नहीं"

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


ले कनक रश्मियां अंशुमान 

कुंकुम टीका देता विहान 

नव कुंद कुसम के पहन हार

ऋतएं आकर करतीं श्रृंगार!!


हिमगिरि किरीट से सजा भाल 

केशर का फैला केश जाल 

धानी परिधान किए धारण 

मां रूप तुम्हारा सप्तवरण !!


गंगा-यमुना की धवल धार 

सागर तरंगे तव पद पखार 

हिम कण मोती बरसाते हैं

पल्लव मिल चंवर डुलाते हैं!!


संध्या लेकर आती अंजन

अनुराग लुटाता नील गगन 

नयनाभिराम मां तेरा रूप 

सुषमा तेरी अनुपम अनूप!!


रत्न गर्भिता,वीर प्रसूता 

माटी हर कण है चंदन 

कर्जदार ये सांसे मेरी

कोटि-कोटि मां तेरा वंदन


रश्मि मिश्रा :रश्मि"

भोपाल (म•प्र•)