पापा अब आगे वाली सीट पर मैं बैठुंगी,मुझे पीछे बैठे बहुत देर हो गई है ! गोदी में बैठे मैं थक गई हूँ ! मीताली ने जैसे ही यह कहा तो उसकी मम्मी अंजना भी एक दम मान गई, क्योंकि मीताली उसकी गोद में बहुत देर से बैठी थी ! उसकी टांगें भी सुन्न सी हो गई थी तथा उसे अब नींद भी आ रही थी ! मीताली को उसने कर की आगे वाली सीट पर बिठा दिया ! अब कार में अगली सीट पर मीताली व उसके पापा उदय प्रताप सिंह थे जो कार चला रहे थे ! पिछली सीट पर अंजना व उसकी बड़ी बेटी शैफाली बैठे थे ! उदय प्रताप सिंह बैंक में वरिष्ठ प्रबन्धक के पद पर पिछले महीने ही हिमाचल प्रदेश से पदोन्नत होकर हरियाणा गए थे ! अपने रहने के लिए एक तीन शयन कक्ष वाले मकान की व्यवस्था करने के बाद वह अपने परिवार को लेने घर आए थे तथा आज वापिस जा रहे थे ! गाँव में मीताली के दादा और दादी कुछ ज़्यादा ही मायूस दिख रहे थे क्यूंकी मीताली की भोली भाली बातें उन्हें सारा दिन खुश रखती थी तथा उसकी बातों से उनकी थकान एक दम गायब हो जाती थी ! जब वह लोग घर से निकले तो उनकी आँखों में आँसू थे तथा सभी का मन उदास था ! दोनों बेटियाँ घर से पहली बार बाहर जा रहीं थी इसलिए बहुत खुश थीं ! घर से चलते चलते शाम के तीन बज गए थे ! रास्ते में ही अंधेरा हो गया था तथा उदय प्रताप सिंह ने कार की लाइटें जला ली थी ! मीताली व पापा आपस में बातें करते जा रहे थे ! उसकी प्यारी प्यारी बातें पापा को बहुत आनंदित कर रही थी ! अचानक आगे गलत दिशा से एक तेज गति से आ रहे ट्रक की चकाचौंध कर देने वाली लाइटें उदय प्रताप सिंह की आँखों पर पड़ी तो आगे कुछ नज़र नहीं आ रहा था ! इससे पहले कि कार को संभाल पाते ,तभी ज़ोर का धमाका हुआ तथा एक ट्रक कार को दूर तक घसीटता हुआ ले गया उसके बाद कार एक झटके के साथ पलट गई । कार का कचूमर निकल गया था सभी लोग अंदर फंस गए थे ! वहाँ साथ ही एक ढाबा था जिस पर एक बस रुकी हुई थी तथा लोग खाना खा रहे थे ! जोरदार टक्कर कि आवाज सुन कर वह सब लोग तुरंत दौड़े दौड़े आए तथा बड़ी मुश्किल से सबको बाहर निकाला । मीताली को बड़ी मुश्किल से निकाला गया क्यूंकी वह कार में बुरी तरह फंसी हुई थी ! ट्रक ड्राइवर लोगों के इकट्ठा होने से पहले ही भाग गया था ! सभी को काफी चोटें आई थी तथा खून बह रहा था लेकिन मीताली ट्रक की टक्कर में गंभीर रूप से घायल हो गई थी ! उसके सिर पर बहुत चोट आई थी ! इससे पहले कि उसे कोई उपचार मिल पाता वह सबका साथ छोड़ चुकी थी ! मीताली की मृत्यु से वहाँ उपस्थित सब लोग बहुत दुखी हो गए थे ! एक मिनट में न जाने क्या हो गया ,हंसते हँसते बात कर रही मीताली अचानक हमेशा के लिए खामोश हो गई !
लोगों की सहायता से तुरंत पुलिस को सूचित किया गया ! सभी घायलों को उपचार के लिए पास के हास्पिटल में ले जाया गया जहां उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया !मीताली को मृत घोषित कर दिया गया ! सारा परिवार सदमें में था । यदि लोगों ने सहायता नहीं की होती तो न जाने क्या होता ! प्राथमिक उपचार के बाद सबको छुटी दे दी गई लेकिन अब मीताली उनके साथ हंस खेल कर बात नहीं कर रही थी ! मीताली की लाश को लेकर जब उदय प्रताप सिंह दोबारा वापिस घर पहुंचा तो वातावर्ण गमगीन हो गया ! पूरे गाँव की आँखों में आँसू बह रहे थे ! मीताली के दादा और दादी की आँखों के सामने उसका हँसता मुसकुराता चेहरा नज़र आ रहा था जो सुबह ही दादा दादी को बोल कर गई थी कि दादी मैं कल आ जाऊँगी ! समझ नहीं आ रहा था कि मीताली को आखिर हुआ क्या जबकि बाकियों को मामूली चोटें आई । मीताली ने भी सीट बेल्ट लगाई हुई थी ! यह सवाल जब पति-पत्नि के मन में बार-बार ऊठता था तो सोच सोच कर परेशान हो जाते थे । मीताली का हंसमुख चेहरा हर समय उनकी नज़रों के सामने रहता था ! सच ही कहते हैं कि जन्म और मृत्यु भगवान के हाथ में है ! जिसकी जितनी साँसे हैं उससे ज़्यादा कोई भी इस दुनिया में नहीं रह सकता ! समय हर घाव का मरहम है ! मीताली को गए हुये एक वर्ष बीत गया था ! पूरे एक वर्ष के बाद ठीक उसी दिन व उसी समय उनके घर में बेटे ने जन्म लिया । सभी को आश्चर्य के साथ ही आभास भी हो रहा था जैसे मीताली ने ही बेटे के रूप में दोबारा उनके घर में जन्म लिया है ! पूरा परिवार बहुत खुश था लेकिन उदय प्रताप सिंह और अंजना के कानों में मीताली के वह शब्द बार बार गूँजते रहते थे ‘‘पापा अब आगे वाली सीट पर मैं बैठूँगी” !
रवीन्द्र कुमार शर्मा