कृत्रिम बौद्धिकता प्रौद्योगिकी के उपयोग से भरपूर संभावनाएं और अपार क्षमताएं - सामाजिक सशक्तिकरण व भाषा की बाधाओं के समाधान में सुविधा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

29 नवंबर से 5 दिसंबर तक चल रहे आजादी के डिजिटल महोत्सव के जश्न में प्रौद्योगिक क्षेत्र में समावेशी विकास के द्वार खुलेंगे - एड किशन भावनानी

गोंदिया - भारत में आत्मनिर्भर भारत विज़न को आजादी के अमृत महोत्सव में प्रौद्योगिकी, विज्ञान, शिक्षा, कृषि, परिवहन स्वास्थ्य, वित्त, वाणिज्य सहित करीब-करीब हर विभाग में जोरों शोरों के साथ मनाया जा रहा है ताकि हम अपने आत्मनिर्भर भारत विज़न में जल्द से जल्द कामयाबहों और भारत के वैश्विक लीडर बनने की पराकाष्ठा का हमारा सपना जल्द कामयाब हो। साथियों हमें नए भारत विज़न 2047 के पहले ही आत्मनिर्भर भारत विज़न पूर्ण करना है जिसके लिए भारत के हर नागरिक का साथ, सहयोग की आहुति इस अभियान में अत्यंत जरूरी है, क्योंकि भारतीय जनता ने जो आत्मीयता, जांबाज़ी, और ज़ज़बे से जो ठान लिया वह होकर ही रहता है यह हमने भूतकाल में हुई सकारात्मक अनुभूतियों में देखे हैं। साथियों बात अगर हमवर्तमान नई प्रौद्योगिकी के बढ़ते स्कोप की करें तो वर्तमान प्रौद्योगिकी ने घंटों का काम सेकंडों में लाकर खड़ा किया है इससे हर क्षेत्र में अपार क्षमताएं नजर आने लगी है। क्योंकि संभावनाओं पर ही हकीकत की पराकाष्ठा निर्भर होती है जिसके बल पर हम आज हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग कर तेज़ी से विकास की गति पकड़ रहे हैं। साथियों बात अगर हम 29 नवंबर से 5 दिसंबर 2021 तक चलने वाले आजादी के डिजिटल महोत्सव जश्न की करें तो पीआईबी के अनुसार इसके दूसरे दिन के दूसरे सत्र यानी 30 नवंबर, 2021 को कृत्रिम बौद्धिकता, ब्लॉकचेन, ड्रोन और भू-स्थानिकी जैसी उदीयमान प्रौद्योगिकियों पर गहरा विमर्श हुआ।माननीय पीएम के आत्मनिर्भर भारत के विज़न से प्रेरित होकर डिजिटल इंडिया पीएम के एक उदीयमान नये भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिये पथ प्रशस्त कर रहा है, जहां प्रौद्योगिकी हमारे नागरिकों की अपार क्षमता को उड़ान भरने की शक्ति देगी, उनके जीवन में सुधार लायेगी, पारदर्शी और समावेशी विकास के द्वार खोलेगी। एक अधिकारी ने कहा,कृत्रिम बौद्धिकता में भरपूर संभावनायें और अपार क्षमता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, जब सरकारी अधिकारी उपलब्ध नहीं हो पाते थे, तो हमने लोगों द्वारा जरूरी सूचनायें हासिल करने के लिये कृत्रिम बौद्धिकता का इस्तेमाल करके चैटबॉट बनाये। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 20-30 करोड़ लोग हैं, जो या तोस्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करते या प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिये उन्हें साक्षरता तथा भाषा की अड़चनों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कृत्रिम बौद्धिकता के महत्त्व और क्षमता के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि इसके द्वारा भारत में साक्षरता और भाषा की बाधाओं का समाधान करके कैसे वास्तविक सामाजिक अधिकारिता लाई जा सकती है। नेशनल ई-गवर्नेंस डिविजन ने डिजिटल परिवर्तन और सामाजिक लाभ के लिये डिजिटल इंडिया पहलों के कारगर क्रियान्वयन को मद्देनजर रखतेहुये उभरती हुई प्रौद्योगिकियों की भूमिका के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने भारत सरकार, उद्योग और अकादमिक जगत द्वारा उभरती प्रौद्योगिकी के मामले में विभिन्न गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। एक अधिकारी ने कहा हमें सभी सरकारी एपलीकेशंस में व्यॉइस इंटरफेस की जरूरत है, ताकि धीरे-धीरे भाषा की चुनौतियों को दूर किया जा सके। कृत्रिम बौद्धिकता वाकई सामाजिक सशक्तिकरण का काम कर सकती है। इसके अलावा बहुत सारे अनुसंधानों, नवाचारों, क्षमता निर्माण और नियामक समर्थन की भी जरूरत है, जो बिलकुल निचले स्तर पर लोगों के जीवन को बदल सके। यह बदलाव लाने के लिये हम सबको मिलकर काम करना होगा उत्कृष्टता केंद्र राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रायोगिक कार्यक्रम बनाने और शुरू करने में सफल हुआ, ताकि शासन की कुशलता में सुधार लाया जा सके। स्वच्छ भारत शहरी, पहचान-पत्र के प्रमाणीकरण, वाहन चालक लाइसेंस की नवीनीकरण प्रणाली में फेस-रिकॉगनिशन प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी तरह खोये बच्चों का पता लगाने के लिये खोया-पाया में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने अपने सम्बोधन के दौरान ऐसे कुछ उदाहरण दिये, ताकि भारत में व्यापार सुगमता तथा ई-शासन में सुधार लाने के लिये कृत्रिम बौद्धिकता का उपयोग किया जा सकता है। एक अन्य अधिकारी ने कहा,भारत मानचित्र नीति 2021 एक क्रांति है, क्योंकि इसमें बेहिसाब लाइसेंसों की जरूरत वाली पुरानी नीतियों की बजाय भारतीय कंपनियों पर शून्य नियंत्रण है। उन्होंने आगे कहा मानचित्रों को पूरी दुनिया में विभिन्न सेवाओं की घुसपैठ को रोकने में इस्तेमाल किया जा सकता है तथा जमीनी स्तर पर उसके प्रभाव को समझा जा सकता है। वर्ष 2021 को भारतीय भू-स्थानिक युग की भोर के लिये याद किया जायेगा। क्रांतिकारी नीति के समर्थन से, स्वदेशी मानचित्र और मानचित्रीकरण प्रौद्योगिकी का तेज विकास होना ही है। उन्होंने कहा कि नये साधनों से हम कृत्रिम बौद्धिकता और डेटा विज्ञानके इस्तेमालसे वास्तविक समयमें मानचित्रीकरण कर सकते हैं। उन्होंने कहा,मानचित्र की तुलना में मानचित्रीकरण करना ज्यादा अहमियत रखता है। लोग शुद्ध रूप से मानचित्र निर्माता हैं। छोटे और औसत किसानों के पास एक-दो एकड़ खेत होता है, जिसकी कीमत 20 लाख होती है, लेकिन उन्हें 30-40 हजार रुपये कर्ज लेने में जद्दो-जहद करनी पड़ती है। खेतों के मानचित्रीकरण से इसका समाधान निकाला जा सकता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि कृत्रिम बौद्धिकता प्रौद्योगिकी के उपयोग से भरपूर संभावनाएं और अपार क्षमताएं हैं तथा सामाजिक सशक्तिकरण, भाषाओं की बाधाओं के समाधान में भरपूर सुविधाएं उपलब्ध होगी। 

-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ,एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र