कोई जिए कैसे

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

अपने से रूठ कर भला कोई जिए कैसे,

अपनी आंखों के अश्क भला कोई पिए कैसे।

प्यार में तेरे दिन रात बैठी हूं अकेली,

तू नहीं आया बता राह निहारूं कैसे।

तेरी यादों के सहारे जिऊंँ कैसे,

अपने से रूठ कर भला जिए कोई कैसे।

इंतजार तेरा में हर पल करती हूं,

तेरे एक इशारे पर मैं तो मरती हूं।

कभी तू ही पूछ लिया कर हाले दिल मेरा,

बस इसी इंतजार में पलके बिछाए रहती हूं।

अपने से रूठ कर भला  जिए  कोई कैसे

रोई हूं तेरे बिन कई रात कई दिन,

पल पल मरी हूं प्यार में तेरे मैं तो पल छिन्न।

अब अशक भी सूख गए आंखों में मेरी,

मंजिल का इंतजार करूंँ कब तक ये तो बता।

                                     रचनाकार ✍️

                                     मधु अरोरा