आरबीएसके के सहयोग से अलीगढ़ मेडिकल कालेज में हुआ आपरेशन
मऊ जनपद के 9 ब्लॉक में कुल 18 आरबीएसके की मोबाइल हेल्थ टीमें करती हैं कार्य
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और केंद्र सरकार ने देश के कम आय और निर्धन आमजन के जन्म से 18 वर्ष तक के बीमार और कुपोषित बच्चों के लिये राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हृदय रोग, कटे होंठ-तालू, टीबी, कुष्ठ रोग, जन्मजात बहरापन, मोतियाबिंद, टेड़े-मेढ़े पैर, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, विकास में रुकावट इत्यादि 47 प्रकार की बीमारियों से ग्रसित बच्चों की जाँच एवं इलाज आरबीएसके द्वारा सरकार निःशुल्क कराती है और उनके असमय मृत्यु को कम करने के साथ उन्हें सामान्य जीवन व्यतीत करने में सहायक बनती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ श्याम नरायन दुबे ने बताया मऊ के फतेहपुर ब्लाक के अंतर्गत फरवरी माह 2020 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ने ग्राम भ्रमण के दौरान परशूपुर गांव के रंजीत कुमार के 10 वर्षीय पुत्र आदित्य को को लक्षण के आधार पर दिल में छेद (कान्जीनेटल हर्ट डिजीज) परिलक्षित हुआ। जिसे जिला अस्पताल में लाकर पूरी जाँच की तो उसके कान्जीनेटल हर्ट डिजीज से ग्रषित (दिल में छेद) होने की पुष्टि हुई। आरबीएसके के सहयोग से अलीगढ़ मेडिकल कालेज भेजा गया जहां सीनियर कार्डियक सर्जन द्वारा उसका सफल ऑपरेशन हुआ और आदित्य अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
सीएमओ डॉ दुबे ने बताया कि इस आरबीएसके कार्यक्रम के लिए हमारे जिले में प्रति ब्लॉक 2 टीम के अनुसार कुल 9 ब्लॉक में कुल 18 आरबीएसके मोबाइल हेल्थ टीमें कार्य करती हैं। यह टीमें सभी ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में वर्ष में एक बार एवं आंगनबाड़ी में वर्ष में दो बार भ्रमण कर स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं। वहीँ जन्म से अठारह वर्ष तक के विकृति से ग्रसित मिलने पर इलाज के लिए जिला चिकित्सालय और गंभीर बीमारी की स्थिति में जनपद से बाहर रेफर कर बड़े राजकीय अस्पतालों अथवा मेडिकल कालेज में भेजा जाता है।
आदित्य की माँ अनीता ने बताया कि जब से आदित्य पैदा हुआ था तब से वह बीमार ही रहता था, बार-बार बीमार होने से पूरा परिवार परेशान रहता था। एक दिन आरबीएसके की टीम गाँव के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के स्वास्थ्य जाँच के लिये आई तो मैंने अपने बेटे आदित्य को उन्हें दिखाया उन्होंने जाँच करने के बाद जिला चिकित्सालय के लिये रेफर किया जहां जाँच में उसके दिल में जन्म से छेद होने की बात बताई, उन्हें और उनके पति को आपरेशन और उसमें होने वाले खर्च की चिंता सताने लगी। आरबीएसके की योजना उसके लिए और उसके परिवार के लिए वरदान साबित हुई माँ ने कहा कि उसके बेटे के स्वस्थ होने से वह और उसका पूरा परिवार बहुत ही खुश है।
कैसे पता चलता है दिल में छेद की समस्या : आरबीएसके नोडल अधिकारी डॉ श्रवण कुमार ने बताया कि जब आगनबाड़ी केंद्र में बच्चों की जांच हो रही थी तो उसकी माँ द्वारा उसे लाकर दिखाया गया, तब वह कमजोर दिखा, सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, उसे भूख न लगना और सामान्य बच्चों की तरह खेल न पाना जैसी भी समस्याएं थीं। उसमें एक जगह एकांत में खड़े रहने की प्रवृत्ति दिखी। स्ट्रेप्थोमीटर (आला) लगाने पर सामान्य बच्चों की अपेक्षा उनके हृदय की आवाज कुछ अलग सुनाई दी जिससे पता चला कि वह दिल में छेद से प्रभावित है। लक्षणों के आधार पर उसे जिला चिकित्सालय भेजा गया। सीएचडी जाँच में कान्जीनेटल हर्ट डिजीज स्पष्ट हुआ, यहाँ से रेफर की सीएमओ और एमओआईसी दोनों की अनुमति प्राप्त करने के साथ जरुरी कागजों का कार्य डीईआईसी मैनेजर द्वारा परिजन के सहयोग से पूरा कराकर, बच्चे को अलीगढ़ मेडिकल कालेज के लिए भेजा गया, जहां उसका नि:शुल्क सीएचडी का आपरेशन हुआ।
आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर अरविन्द वर्मा ने बताया मेडिकल कालेज पहुँचने के बाद मरीज के साथ एक परिजन के रहने एवं गंभीर विकृति के इलाज, जांच एवं दवा का पूरा खर्च सरकार इस कार्यक्रम के अंतर्गत वहन करती है।