नमक और चीनी सा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


व्यक्तित्व तो आखिर व्यक्तित्व होता है

बहुत चीजों से होती है तुलना व्यक्तित्व की

कभी किसी महान व्यक्ति से हो जाती है

तो कभी अच्छी वस्तु से हो जाती है

लेकिन तब जब व्यक्तित्व अच्छा होता है

लेकिन तब जब व्यक्तित्व सब को खुश करता है

लेकिन व्यक्ति तो होता है नमक चीनी सा

एहसास इसका होता है नमक चीनी सा

कभी सब्जी में अगर नमक कम हो जाए

तो गृहणी की तो बस वाट ही लग जाये

एक आवाज अरे नमक कम डाल दिया

एक आवाज क्या नमक डालना भूल गयीं

कोई कहता नमक की कमी रह गई

वैसे सब्जी तो अच्छी ही बनी

इसी तरह जब चीनी कम हो जाती है

तो चीनी भी महसूस की जाती है

लगता है चीनी अगर पड़ी होती

तो चीज खाने में बहुत अच्छी होती

नमक हो चाहे हो या चीनी

इनके न होने पर इन्हें याद किया जाता है

व्यक्तित्व अच्छा हो याद करते हैँ

बुरे में भी कुछ अच्छा ढूंढ लेते हैँ

और जब तक ये चीजें से ठीक होती हैँ

तो न होने का तो एहसास ही नहीं होता

इसी तरह व्यक्ति का व्यक्तित्व है

व्यक्ति साथ में रहता है तो ऐसा कुछ नहीं

लेकिन जब व्यक्ति दूर होता है तो

उसके व्यक्तित्व को महसूस किया जाता है

उसकी खूबियों को याद किया जाता है

उसकी भलाई यों को याद किया जाता है

नमक खारा ही तो होता है लेकिन

नहीं होता तो याद दिलाता है और

यह चीनी भी तो सोचिए

नहीं होती तो सब चीज फीका कर देती है

बस इसी तरह व्यक्तित्व  है

जो दूर होने पर यह महसूस होता है


रितु शर्मा.. (लेखन नाम )

विमलेश शर्मा (शैक्षिक नाम )

दिल्ली