अस्थमा, श्वसन से संबंधित एक गंभीर और क्रोनिक बीमारी है। अस्थमा के शिकार लोगों को सांस फूलने, सांस लेने में तकलीफ और कई स्थितियों में दम घुटने की समस्या हो सकती है, यही कारण है कि इस रोग के शिकार लोगों को हमेशा बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अस्थमा की समस्या में वायुमार्ग संकीर्ण और सूज जाते हैं, जिसके कारण अतिरिक्त बलगम का उत्पादन होने लगता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो सकती है और जब आप सांस छोड़ते हैं तो खांसी, सीटी की आवाज (घरघराहट) आ सकती है। कई लोगों के लिए अस्थमा काफी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है, हालांकि तमाम उपायों को प्रयोग में लाकर इसके लक्षणों को नियंत्रित करना आसान हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि कई प्रकार के योग का नियमित अभ्यास इस गंभीर समस्या के लक्षणों को कम करने के साथ जटिलताओं में सुधार करने में सहायक हो सकता है। आइए ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानते हैं।
भुजंगासन (कोबरा पोज)
योग विशेषज्ञों के मुताबिक अस्थमा की समस्या के शिकार लोगों के लिए भुजंगासन बेहद फायदेमंद योग हो सकता है। इसका नियमित अभ्यास करके अस्थमा की जटिलताओं का कम करने में सहायता मिल सकती है। इस योगासन को करने के लिए पेट के बल लेटकर हथेली को कंधों के नीचे रखें। सांस लेते हुए और शरीर के अगले हिस्सो को ऊपर की और उठाएं। 10-20 सेकंड्स तक इसी स्थिति में रहें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। भुजंगासन कई और स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक माना जाता है।
पवनमुक्तासन
अस्थमा के रोगियों के लिए इस योग के नियमित अभ्यास से काफी लाभ मिल सकते हैं। इस योग के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अब दोनों पैरों को मिलाते हुए और हथेली को जमीन पर लगाएं। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती तक लगाएं। फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों को मिलाते हुए घुटने से थोड़ा नीचे होल्ड कर लें। अब पैरों से छाती पर दबाव पड़े तो धीरे-धीरे सांस को अंदर बाहर छोड़ें।
ब्रिज पोज योग अस्थमा में है फायदेमंद
नियमित रूप से ब्रिज पोज योग का अभ्यास अस्थमा की जटिलाओं को कम करने के साथ कमर के दर्द को भी कम करने में काफी फायदेमंद माना जाता है। सांस लेने की क्षमता में सुधार करने में इस योग को काफी लाभदायक माना जाता है। इस योग को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई से थोड़ा अलग करते हुए घुटनों को मोड़ लें। हथेलियों को खोलते हुए हाथ को बिल्कुल सीधा जमीन पर सटा कर रखें। अब सांस लेते हुए कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं, कंधे और सिर को सपाट जमीन पर ही रखें। सांस छोड़ते हुए दोबारा से पूर्ववत स्थिति में आ जाएं।