गर्दन में दर्द की समस्या होना काफी आम है, यह दिक्कत कई कारणों से हो सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक खराब मुद्रा में बैठकर काम करना, आगे की तरफ झुककर काफी देर तक बैठने या फिर किसी प्रकार की चोट के कारण लोगों को गर्दन में दर्द हो सकती है। वैसे तो इस प्रकार का दर्द कुछ समय में स्वत: ही ठीक हो जाता है, हालांकि यदि यह समस्या आपको अक्सर बनी रहती है तो इस बारे में किसी डॉक्टर से संपर्क जरूर कर लें।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक गर्दन में दर्द से छुटकारा पाने के लिए योग का अभ्यास करना सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि लगातार नौ सप्ताह तक योग करने से शरीर में कई प्रकार के दर्द से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए गर्दन में दर्द की समस्या को दूर करने वाले ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानते हैं।
कैट-काऊ पोज
गर्दन में दर्द की समस्या को कम करने के लिए कैट काऊ पोज के अभ्यास को काफी फायदेमंद माना जाता है। इस योगासन को मार्जरी आसन के रूप में भी जाना जाता है। गले में रक्त के प्रवाह को निरंतर जारी रखने के साथ मांसपेशियों को सक्रियता देने में इस योगासन के फायदे हो सकते हैं। इस अभ्यास के लिए सबसे पहले अपनी कलाइयों और घुटनों की मदद से चौपाया जानवरों जैसी मुद्र बना लें। अब गहरी श्वास लें और छोड़ें। इसके बाद सांस लेते हुए छत की ओर देखें और सांस छोड़ें।
स्फिंक्स पोज योगासन
गर्दन में दर्द को दूर करने और मांसपेशियों को आराम दिलाने में स्फिंक्स पोज योगासन आपके लिए विशेष फायदेमंद हो सकता है। स्फिंक्स पोज, रीढ़ को मजबूत करने के साथ कंधों को फैलाती है। इस योगासन को करने के लिए कोहनी को कंधों के नीचे रखते हुए पेट के बल लेट जाएं और जमीन पर अपनी हथेलियों और फोरआर्म्स को स्थिर रखें। अब अपने धड़ और सिर को ऊपर उठाते हुए छत की ओर देखें। सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ अच्छे से स्ट्रेच हो रही है।
चाइल्ड पोज योगासन
गर्दन में दर्द को दूर करने और मन को शांत रखने में चाइल्ड पोज का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। लसीका और तंत्रिका तंत्र के लिए भी इस योगाभ्यास को लाभदायक माना जाता है। इस योगाभ्यास को करने के लिए मैट पर वज्रासन में बैठ जाएं। अब श्वास अंदर लेते हुए दोनों हाथों को सीधा सिर के उपर उठा लें। श्वास बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और हथेलियों और सिर को ज़मीन पर टिकाएं। लंबी श्वास अंदर लें और बाहर छोड़ें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ते हुए सिर को दोनों हथेलियों के बीच में धीरे से रखें। रोजाना इस अभ्यास को करें।