शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में असमानताओंं को दूर करने की ज़रूरत

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  

मानवीय जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने और मानवीय स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए इकोसिस्टम में हस्तक्षेप से बचने की ज़रूरत - एड किशन भावनानी

गोंदिया - वैश्विक रूप से फैली कोरोना महामारी ने हर देश के स्वास्थ्य सहित हर क्षेत्र के सुदृढ़ मज़बूत ढांचे को ज़बरदस्त रूप से क्षतिग्रस्त किया जिसका अनुमान भी किसी ने नहीं लगाया होगा, लेकिन आज करीब करीब सभी देशों ने अधिकतम स्तर पर नियंत्रण में कामयाबी हासिल की है। परंतु हमें बात यहीं तकसमाप्त नहीं कर देना चाहिए, अपितु इस महामारी ने बहुत गहरा सबक मानव जाति के लिए सिखाने के लिए एक अवसर भी दिया है कि, हे मनुष्य अब भी कुदरत द्वारा बख्शी सर्वश्रेष्ठ मानवीय योनि की समग्र बुद्धिका उपयोग कर अपनी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को समाप्त करने और जीवनशैली को उस अनुरूप ढालने के लिए रणनीतिक रोडमैप के तहत कार्य योजना बनाकर अपने जीवन में ढालें तथा केंद्र राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को भी चुनौती भरा चैलेंज महामारी ने पेश किया है कि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में असमानताएं दूर करने की तात्कालिक ज़रूरत है। क्योंकि आज की स्थिति में भी हम देखते हैं कि कई ग्रामीण क्षेत्रों में मामूली इलाज के लिए भी कुछ किलोमीटर तक दूर जाना पड़ता है और बड़ी बीमारियों के लिए तो बड़ा शहर, विशाल पैसा और अनेक सुविधाओं की ज़रूरतें तो ग्रामीण गरीब, आदमी की पहुंच से दूर हैं जो कि हमें उसी अनुरूप बुनियादी ढांचे को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना है। हम आज भी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अनेकों मामले देखते और सुनते हैं कि फलां गांव के फलां प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं था, नर्स नहीं थी, कोई स्वास्थ्य कर्मचारी तक नहीं था, और मरीज़ की मृत्यु हो गई। कई बार टीवी चैनलों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग भी दिखाई जाती है कि प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्रों पर गाय, बकरी, भैंस इत्यादि जानवर अंदर बैठे रहते हैं और स्वास्थ्य केंद्र हालात का नामोनिशान तक नहीं लगता।...साथियों इस तस्वीर को हमें पुरजोर कोशिश कर पूरी तरह से बदलना होगा। हालांकि हम वैश्विक स्तर पर आज़ बहुत बड़ी अहमियत रखते हैं, हमारे वैश्विक प्रतिष्ठा साख़ में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन हमें ज़रूरत है स्वास्थ्य में भी, प्राथमिक सुविधाओं का ग्रामीण क्षेत्र में विकास करने की, शहरी क्षेत्रों में तो नागरिक हाथपैर मारकर एंबुलेंस से अन्य शहर की ओर दौड़ कर अपने परिजन की जान बचा सकता है, परंतु ग्रामीण क्षेत्र वासियों के लिए तो एंबुलेंस तो  क्या, समय पर डॉक्टर तक उपलब्ध नहीं हो पाता। हालांकि सभी ग्रामीण क्षेत्रों का यह हाल है, हम नहीं कर सकते, परंतु अनेक ग्रामीण क्षेत्रों का यह हाल ज़रूर कह सकते हैं क्योंकि हम टीवी चैनलों के माध्यम से ऐसे वाकियात देखते रहते हैं जो हमें सुधारात्मक उपायों की ओर इंगित करते हैं।...साथियों बात अगर हम दिनांक 3 अक्टूबर 2021 को माननीय उपराष्ट्रपति के एक कार्यक्रम में दिए वीडियो संदेश की बात करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी इस पर जोर दिया और कहा कि, हमें भारत में बढ़ती गैर-संचारी रोगों की परेशान करने वाली उस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो अब देश में लगभग 60 प्रतिशत मौतों का कारण है। हमें जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बारे में लोगों में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। मैं स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सांस्कृतिक हस्तियों से इस संबंध में आगे बढ़ नेतृत्व करने का आग्रह करता हूं। जैसा कि सभी जानते हैं -भारत एक युवा राष्ट्र है जिसकी लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। इसलिए हमारे युवाओं के लिए अनिवार्य हो जाता है कि वे एक स्वस्थ और अनुशासित जीवन शैली अपनाएं। उन्हें नियमित शारीरिक गतिविधियां जैसे योग या साइकिल चलाना चाहिए, साथ ही उन्हें सुस्त बने रहने की आदतों, जंक फूड जैसे आहार और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों के सेवन से बचना होगा। युवाओं को भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें डिजिटल उपकरणों की लत न लग जाए। अब जबकि भारत ने स्वतंत्रता के बाद से स्वास्थ्य सूचकांकों में महत्वपूर्ण लाभ कमाया है, केंद्र और राज्यों को स्वास्थ्य सूचकांकों में और सुधार करने के लिए नए जोश के साथ टीम इंडिया की भावना के तहत काम करना चाहिए। स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाने के अलावा  सार्वजनिक - निजी भागीदारी के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की भी आवश्यकता है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में भारी असमानताओं को दूर करने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में तृतीयक देखभाल लाते समय यह अनिवार्य हो गया है कि हम बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए अपनी प्राथमिक स्वास्थ्य देख भाल प्रणाली को मजबूत करें। महामारी ने हमें यह भी याद दिलाया है कि हमारा स्वास्थ्य इस ग्रह के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। मनुष्य को अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक इकोसिस्टिम मेंहस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। एक स्वास्थ्य, एक ग्रह, एक भविष्य ही आगे का रास्ता है। इसलिए हम रोग की अनुपस्थिति के रूप में स्वास्थ्य देखभाल की धारणा से आगे बढ़ें और स्वास्थ्य के बारे में एक ऐसा समग्र दृष्टिकोणअपनाएं जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण शामिल है और जो किसी भी व्यक्ति को उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचने के योग्य बनाता है। यही स्वस्थ भारत का उद्देश्य है, जो अंततःसंपन्न भारत या समृद्ध भारत की ओर ले जाएगा। अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में असमानता को दूर करने की अब ज़रूरत आन पड़ी है तथा मनीषियों को अपनी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूकता लाने और मानवीय स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए इकोसिस्टम में हस्तक्षेप से बचने की अत्यंत तात्कालिक ज़रूरत है। 

-संकलनकर्ता, लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र