कोई गरीब आदमी
मुसीबत में पड़कर थोड़ा सा कर्ज लेने
बैंक जो चला जाए
तो बैंक वाले औपचारिकताओं के नाम पर
उसके सौ-सौ चक्कर लगवाएं,
उसकी सारी सम्पत्ति को गारंटी के तौर पर
बैंक में गिरवी रखवाएं
साथ में किसी पहचान वाले को
अलग से गवाह बनाएं,
लेकिन धनी एवं प्रभावशाली लोगों के घर
खुद बैंक वाले ही जाकर
कर्ज की औपचारिकता पूरी करके आएं,
कभी-कभी तो सारा काम
उनके एक फोन से ही निपट जाए,
इसी एक बात से हमारे देश में
नियम सबके लिए बराबर होने के
दावे की हवा निकल जाए।
सत्ताधारियों के प्रतिकूल
किसी का कोई बयान आ जाए
तो सारी सरकारी एजेंसियां उसके पीछे
गिद्ध की तरह पड़ जाएं,
महज बयान के आधार पर ही
मामला देशद्रोह का दर्ज करके
जांच एजेंसियां घसीटते हुए उसे
जेल लेकर जाएं,
लेकिन सत्ताधारी अगर
हत्या और दंगे भी करवा जाए
तो जांच एजेंसियां उनके घर पर
नोटिस चिपका पूछताछ के लिए पेश होने की
विनम्र गुहार लगाएं,
इसी एक बात से हमारे देश में
कानून सबके लिए बराबर होने के
दावे की हवा निकल जाए।
जितेन्द्र 'कबीर'