परोपकार के छंद

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


सदैव मानवी सुधार जीवनी बनाइए।

सदैव चेतना बहार ज्ञान को जगाइए।।

बिगाड़ से बचो,बहो नहीं यही बहार है।

परोपकार को गहो यही सही सुधार है।।


परोपकार को वरो सदैव ही जगाइए।

भला करो सदैव ही यही बहाव पाइए।।

सुखी रहो,खुशी वरो,प्रसन्नती बढ़ाइए।

दया करो,दया वरो,महानता नहाइए।।


अभाव को सुधार दो,दया पुकार साधिए।

विषाद-वेदना नहीं रहे,सुधार लाइए।।

भला करो हरेक का उदार लाभ लीजिए।

यही अगाध प्रेम है,परोपकार कीजिए।


परोपकार कामना परोपकार सार है।

परोपकार बोलता सुधार शृंगार है।।

दुआ करो सभी हँसें सभी सदा खिले रहें।

मिले हरेक को खुशी मिलाप में मिले रहें।।


नदी कहे पियो नहीं करो परोपकार ही।

तभी बहे जहाँ कहीं प्रताप संग सार ही।।

अगाध ज्ञान सार है परोपकार काम लो।

बड़ी कथा कहे यही परोपकार थाम लो।।


मिले तुझे दुखी सहायता सदैव कीजिए।

परोपकार ही सही पवित्र जाम पीजिए।।

मिले बटोर ले सदा तुझे सही लगाव दूँ।

हरेक का उधार है उतार दे बहाव दूँ।।


                   -प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे